इस समय दुनियाभर के लिए कोरोना ही अकेला खतरा नहीं है, कई और स्वास्थ्य समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ तो इतनी तेजी से बढ़ रही हैं जिसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक और महामारी का अलर्ट जारी कर दिया है।
डब्ल्यूएचओ ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए बताया है कि यूरोपीय देशों में मोटापे का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 में यूरोपीय देशों के 59 फीसदी से अधिक वयस्कों का बॉडी-मास इंडेक्स (बीएमआई) सामान्य से अधिक था। कोरोना महामारी के दौरान इसमें और भी बढ़ोतरी आने के संकेत है। तेजी से बढ़ता वजन कई तरह के गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का कारक माना जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वजन अधिक होने के कारण सेहत से संबंधित कई तरह की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसे डायबिटीज, हृदय रोगों सहित कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख कारक के तौर पर देखा जाता रहा है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में जिस तरह से वैश्विक स्तर पर मोटापा बढ़ने की स्थिति के बारे में पता चलता है, वह निश्चित ही बड़ी चिंता का कारण है। विशेषज्ञों का कहना है कि सभी देशों को इस बढ़ते खतरे पर नियंत्रण पाने को लेकर योजना बनाने की आवश्यकता है, वरना यह एक बड़ी महामारी का रूप ले सकती है।
डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2016 में यूरोप में 59% वयस्कों का बॉडी-मास इंडेक्स (बीएमआई) औसत से अधिक था। रिपोर्ट के अनुसार तुर्की और यूनाइटेड किंगडम सहित अधिकांश यूरोपीय देशों में लोगों में अधिक वजन की समस्या देखी जा रही है।
रिपोर्ट के अनुसार मोटापा के कारण हर साल दो लाख से अधिक कैंसर के मामलों का निदान किया जा रहा है। इसके अलावा मोटापा जनित तमाम रोगों के कारण हर साल 1.2 मिलियन से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।
मोटापे की दर ‘घातक’ स्तर पर
वैश्विक स्तर पर मिल रहे डेटा के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने चिंता जताते हुए कहा है कि अधिक वजन और मोटापे की दर ‘घातक’ स्तर पर पहुंच गई थी और इसमें लगातार बढ़ोतरी जारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि कोई भी देश फिलहाल 2025 तक डब्ल्यूएचओ ग्लोबल नॉनकम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) के तहत मोटापे की रोकथाम को लेकर बनाए गए लक्ष्य को पूरा करने की राह पर नहीं दिखता है। यूरोपीय देशों में स्कूल जाने वाला हर 3 में से एक बच्चा मोटापे का शिकार है, यह भविष्य के लिए बड़ी चुनौतियों का संकेत है।
कैंसर के खतरे को लेकर चेतावनी
अध्ययनों की मानें तो मोटापा, कई गंभीर बीमारियों जैसे मस्कुलोस्केलेटल जटिलताएं, टाइप-2 मधुमेह, हृदय रोग और करीब 13 प्रकार के कैंसर का कारक माना जाता है। शरीर में अतिरिक्त चर्बी का बढ़ना समय से पहले मृत्यु और विकलांगता के लिए भी एक प्रमुख जोखिम कारक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से मोटापे की दर बढ़ती जा रही है, ऐसे में अंदेशा है कि यह धूम्रपान जनित कैंसर से भी आगे निकल जाएगी। तुर्की और माल्टा के साथ ब्रिटेन में मोटापा ग्रस्त लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
बीएमआई का अधिक होना हानिकारक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मोटापा, शरीर का वजन बहुत अधिक होने की स्थिति को परिभाषित करता है। 25 से 29.9 के बीच की बीएमआई को अधिक वजन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जबकि 30 या उससे अधिक को मोटापा माना जाता है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान बिगड़ी जीवनशैली और खान-पान की आदत ने मोटापे की समस्या को काफी हद तक बढ़ा दिया है। शोध में ऐसे लोगों में कोविड-19 का जोखिम भी अधिक पाया गया है।
भारत में भी बढ़ रहा है मोटापे का जोखिम
यूरोपीय देशों के साथ भारत में भी मोटापे की दिक्कत तेजी से बढ़ती हुए रिपोर्ट की गई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस -5) की हालिया रिपोर्ट में भारत में बढ़ते मोटापे के खतरे को लेकर चिंता जताई गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 15-49 आयु वर्ग की 24% महिलाएं और 23% पुरुष मोटापे के शिकार हैं। पिछले डेटा की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में मोटापा 21 प्रतिशत से बढ़कर 24 प्रतिशत और पुरुषों में 19 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गया है।
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स्रोत और संदर्भ
WHO European Regional Obesity Report 2022
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