News Times 7
अध्यात्मटॉप न्यूज़ब्रे़किंग न्यूज़संपादकीय

आज साल 2020 का शुक्ल पक्ष के मोक्षदा एकादशी है जहां व्रत कथा और पूजा की विधियां से जीवन धन्य होगा

हिंदू मान्यताओं और पंचांग विशेष की माने तो मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत माना जाता है! परंपराओं में इस एकादशी का व्रत बहुत शुभ और फलदायक होता है अगर मान्यताओं की माने तो एकादशी का व्रत सुख समृद्धि शांति और मोक्ष की कामना के लिए लोग करते हैं पंचांग के अनुसार साल 2020 का यह आखिरी एकादशी लाभप्रद और फलदायक है! पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खोल देने वाली इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी ने नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी (Ekadashi) के दिन व्रत रखने से पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं. साथ ही यह भी माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से मनुष्यों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. बता दें मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से श्रीमदभगवद् गीता का जन्म हुआ था. इसीलिए मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती भी मनाई जाती है.Mokshada Ekadashi 2020 Mokshada Ekadashi date significance and all you need  to know - Mokshada Ekadashi 2020: 25 दिसंबर को है मोक्षदा एकादशी, सभी  मनोकामनाएं पूर्ण करता है ये व्रत

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चंद्र मार्गशीर्ष के महीने में चांद (शुक्ल पक्ष) के 11वें दिन मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है. वहीं, अंग्रेजी या ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मोक्षदा एकादशी नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है. साल 2020 में यह शुक्रवार 25 दिसंबर को मनाई जा रही है.

मोक्षदा एकादशी का समय

Advertisement

एकादशी तिथि प्रारम्भ – दिसंबर 24, 2020 को रात 11 बजकर 17 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त – दिसंबर 26, 2020 को रात 01 बजकर 54 मिनट तक

मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
1. मोक्षदा एकादशी के लिए दशमी की रात्रि के प्रारंभ से द्वादशी की सुबह तक व्रत रखें.
2. सुबह स्नान के बाद धूप, दीप और तुलसी से भगवान विष्णु के साथ कृष्ण जी की भी पूजा करें.
3. व्रत का संकप्ल लें और व्रत कथा पढ़ें. फिर आरती कर प्रसाद बांटें.
4. पूजा के दौरान भगवान को फलाहार चढ़ाएं.
5. पूजा करने से पहले और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें.

Advertisement

मोक्षदा एकादशी का महत्‍व

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मोक्षदा एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-पाठ और कीर्तन करने से पाप का नाश होता है. इसीलिए इस दिन पापों को नष्ट करने और पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खोलने के लिए श्री हरि की तुलसी की मंजरी और धूप-दीप से पूजा की जाती है.मोक्षदा एकादशी 2018 : ये है मोक्षदा एकादशी की व्रत-विधि, पूजा विधि, पारण का  शुभ मुहूर्त | Hari Bhoomi

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

Advertisement

मोक्षदा एकादशी की प्रचलित कथा के अनुसार चंपा नगरी में चारों वेदों के ज्ञाता राजा वैखानस रहा करते थे. वे बहुत ही प्रतापी और धार्मिक थे. उनकी प्रजा भी खुशहाल थी. लेकिन एक दिन राजा ने सपना देखा कि उनके पिता नरक की यातनाएं झेल रहे हैं. ये सपना देख राजा अचानक उठ गए और सपने के बारे में पत्नी को बताया. इस पर पत्नी ने राजा को आश्रम जाने की सलाह दी.

राजा आश्रम गए और वहां कई सिद्ध गुरुओं से मिले. सभी गुरु तपस्या में लीन थे. उन्हें देख राजा गुरुओं के समीप जाकर बैठ गए. राजा को देख पर्वत मुनि मुस्कुराए और आने का कारण पूछा. राजा ने बहुत ही दुखी मन से अपने सपने के बारे में उन्हें बताया. इस पर पर्वत मुनि राजा के सिर पर हाथ रखकर बोले. ‘तुम एक पुण्य आत्मा हो, जो अपने पिता के दुख से इतने दुखी हो. तुम्हारे पिता को उनके कर्मों का फल मिल रहा है. उन्होंने तुम्हारी माता को तुम्हारी सौतेली माता के कारण बहुत यातनाएं दीं. इसी कारण वे पाप के भागी बने और अब नरक भोग रहे हैं.’

इस बात को जान राजा ने पर्वत मुनि से इस समस्या का हल पूछा. इस पर मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन करने को कहा. राजा ने विधि पूर्वक व्रत किया और व्रत का पुण्य अपने पिता को अर्पण कर दिया. व्रत के प्रभाव से राजा के सभी कष्ट दूर हो गए और उनके पिता को नरक से मुक्ति मिल गई.मोक्षदा एकादशी व्रत से मिलता है मोक्ष, जानें पूजा विधि और तिथि - Mokshada  ekadashi mokshada ekadashi vrat katha mokshada ekadashi importance

Advertisement

मोक्षदा एकादशी आरती
ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥

Advertisement

Related posts

विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिम बंगाल और असम की कुल 77 सीटों पर सुबह 7 बजे से वोटिंग जारी,बंगाल की 30 और असम की 47 सीटें शामिल

News Times 7

हरियाणा के अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर नीरज गोयत ने थामा आम आदमी पार्टी का हाथ

News Times 7

केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को जल्‍द मिल सकती है खुशखबरी ,जानिये क्या?

News Times 7

Leave a Comment

टॉप न्यूज़
ब्रेकिंग न्यूज़