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पीके की जुबानी ,आम आदमी पार्टी के लिए भविष्यवाणी: आप को राष्ट्रीय पार्टी बनने में 15-20 साल लगेंगे

आम आदमी पार्टी को लेकर राजनितिक रणनीतिकार पीके ने भविष्यवाणी की है और कहा की रातोरात कुछ नहीं होता आप को राष्ट्रीय पार्टी बनने में 15-20 साल लगेंगे वही दिल्ली के बाद पंजाब में भी सत्ता पर काबिज होने के बाद आम आदमी पार्टी के हौंसले बुलंद हैं। आप अब गुजरात में भी अपनी सक्रियता बढ़ाने में लगी है। इस बीच, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी आम आदमी पार्टी को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर दी है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि कोई भी पार्टी रातोंरात नेशनल पार्टी नहीं बन जाती। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनने में अभी लंबा वक्त लगेगा। यह समय कम से कम 15 से 20 साल हो सकता है।

दिग्गज चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि किसी भी दल को राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए 20 करोड़ वोट हासिल करने की जरूरत होती है, जबकि आप को 2019 में मात्र 27 लाख वोट मिले थे। इसको देखते हुए आम आदमी पार्टी के लिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

Prashant Kishor: केजरीवाल की पार्टी को मिली प्रशांत किशोर के 'टॉनिक' से  ताकत - arvind kejriwal got big support from prashant kishor in delhi  election | Navbharat Times
अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर – फोटो : PTI

पंजाब में आम आदमी पार्टी के क्लीन स्वीप करने के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक रूप से कोई भी दल ऱाष्ट्रीय पार्टी हो सकता है, लेकिन इतिहास के पन्नों को देखने पर यह साफ है कि सिर्फ भाजपा और कांग्रेस ही पूरे देश के लोगों तक पहुंच चुके हैं। अभी तक देश में सिर्फ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ही राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है। कई अन्य दलों ने समय-समय पर इसकी कोशिश की है, लेकिन वे सफल नहीं हुए हैं, हालांकि इसका ये मतलब भी नहीं है कि कोई दूसरा दल राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभर कर सामने नहीं आ सकता, लेकिन ऐसा रातोंरात में नहीं हो सकता, इसके लिए कड़ी मेहनत और लंबा समय चाहिए।

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नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि उनके समर्थक लगातार उनके पक्ष में डटे हुए हैं और कार्यकर्ता उनके लिए मेहनत कर रहे हैं। लोकप्रिय होने का ये मतलब भी नहीं है कि चुनाव नहीं हार सकते, बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे इसका उदाहरण हैं। इसके अलावा ताजा उदाहरण अखिलेश यादव हैं, यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश यादव की जनसभाओं में खूब भीड़ जुटती थी और उन्हें वोट भी 30 फीसदी ज्यादा मिले लेकिन परिणाम उनके पक्ष में नहीं आया।

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