फर्रुखाबाद. यूपी के फर्रुखाबाद में गंगा का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. गंगा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. जलस्तर घटने का नाम नही ले रहा है. गंगा खतरे के निशान से 30 सेमी उपर बह रही है. बाढ़ के पानी से 35 से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है. ग्रामीण नाव से आवागमन कर रहे हैं. गांव में बाढ़ का पानी भर जाने से ग्रामीणों को पीने के पानी की समस्या हो गई है. पीड़ित मकानों की छतों व सड़क के किनारे पालीथिन के नीचे गुजर करने को मजबूर हैं.
फर्रुखाबाद जिला पिछले करीब एक महीने से बाढ़ का दंश झेल रहा है. यहां पानी सिर्फ गांव ही नहीं श्मशान घाट में भी भर चुका है. लोगों को यहां चिता जलाने तक की जगह तक नहीं मिल पा रही है. लोग शवों को हाइवे पर जलाने के लिए मजबूर हैं. इससे पूरा हाइवे श्मशान में तब्दील हो चुका है. बाढ़ की वजह से लोगों की मुसबीतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गांव में बाढ़ का पानी लगातार बढ़ने से लोग ऊंचे स्थानों पर जाने को मजबूर हैं. अपने घरों को छोड़कर लोग सड़क किनारे डेरा डालकर अस्थाई रूप से रह रहे हैं. कई गांवों में दर्जनों परिवार अपना घर छोड़कर अपने जानवरों को लेकर अपनी रिश्तेदारियों में चले गये हैं.
उफान पर गंगा
फर्रुखाबाद में गंगा और रामगंगा दोनों नदियां उफान पर हैं. दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. नदियों के बढ़ते जलस्तर से करीब डेढ़ सौ से ज्यादा गांव प्रभावित हो रहे हैं. गांव में पानी भर जाने की वजह से लोग सड़क किनारे टेंट लगाकर रहने को मजबूर हैं. साथ ही यहां बाढ़ का पानी श्मशान घाट में भी भर चुका है, जिसके कारण लोगों को चिता जलाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है. लोग हाइवे पर शवों को जला रहे हैं. साथ ही बाढ़ के पानी की वजह से मक्का, मूंगफली, शिवाला गन्ना धान की हजारों बीघा फसल बर्बाद हो चुकी है.
गंगा नदी में कटान की वजह से करीब चार दर्जन गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है. महिलाएं सड़क किनारे खाना बनाकर बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं. पर्याप्त चारा न मिल पाने की वजह से जानवर भी भूखे हैं. ऐसे में बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है. हालात यह हैं कि अगर जल्द मदद नहीं मिली तो लोग बीमार पड़ सकते हैं. लोग अपनी गर्भवती महिलाओ को अपनी रिश्तेदारी में भेजने को मजबूर हैं.