इसरो ने गुरुवार को खुशखबरी शेयर करते हुए बताया कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर चहलक़दमी करने को तैयार हैं. मालूम हो कि, चंद्रयान-3 का ये मिशन चांद के ‘दक्षिणी ध्रुव’ पर लैंड करेगा.
अनुमान है कि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगले हफ़्ते 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च होने के बाद जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है. चंद्र सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर नहीं हुई थी.
अगर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का 600 करोड़ रुपए का चंद्रयान-3 मिशन चार साल में अंतरिक्ष एजेंसी के दूसरे प्रयास में लैंडर को उतारने में सफल हो जाता है, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ की तकनीक में महारत हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा.
चंद्रयानयान-3 ने 1 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की लंबी यात्रा पर निकल गया था. लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा. इसरो के मुताबिक, लैंडर के 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने की उम्मीद है.
सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करेगा. एक चंद्र दिवस पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यहां, रहते हुए ये चन्द्रमा की सतह से निकलने वाले विकिरण की स्टडी करके डाटा को पृथ्वी पर भेजेगा. जिससे चांद की सतह पर जीवन और पानी प्रमाण के रिसर्च में काफी मदद मिल सकता है.