पटना. बिहार सरकार ने सभी 38 जिलों के प्रशासन को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंदिरों और मठों के पंजीकरण की प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी कर ली जाए. राज्य के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने शनिवार को कहा कि अगर मंदिर और मठ 15 जुलाई तक बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद (बीएसआरटीसी) में अपना पंजीकरण कराने में विफल रहते हैं तो सरकार को मजबूरन अन्य प्रशासनिक विकल्प तलाशना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को मंदिरों, मठों और न्यासों की सभी संपत्ति की जानकारी 15 दिन के भीतर बीएसआरटीसी (BSRTC) की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी. उन्होंने बताया कि विधि विभाग ने इस संबंध में शुक्रवार को सभी जिलाधिकारी (डीएम) को पत्र भेजा गया है.
प्रमोद कुमार ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां सरकार ने इस तरह की कवायद शुरू की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीएसआरटीसी की वेबसाइट का उद्घाटन 15 जुलाई के बाद करेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार में सभी सार्वजनिक मंदिरों, मठों, ट्रस्टों और धर्मशालाओं को बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम-1950 के अनुसार बीएसआरटीसी के साथ पंजीकृत कराना होगा. उन्होंने कहा कि मंदिर की संपत्ति को अनधिकृत दावों से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है, क्योंकि पुजारियों द्वारा संपत्ति की खरीद-फरोख्त में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गई हैं.
कानून मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही 2,499 पंजीकृत मंदिरों और मठों की बाड़बंदी की प्रक्रिया शुरू करेगी. इन मंदिरों और मठों के पास 18,456.95 एकड़ जमीन है. भूखंड को अतिक्रमण से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है.
बता दें कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक बिहार के 35 जिलों में 2,512 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनके पास लगभग 4,321.64 एकड़ जमीन है. वैशाली जिले में सबसे ज्यादा 438 अपंजीकृत मंदिर और मठ मौजूद हैं. जबकि औरंगाबाद एकमात्र ऐसा जिला है जहां कोई अपंजीकृत मंदिर नहीं है. (भाषा से इनपुट)