ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है. 1 से 12 जुलाई तक चलने वाली रथयात्रा उत्सव में इस साल लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है.इस मौके पर पुरी पहुंचे श्रद्धालुओं ने जय जगन्नाथ और हरिबोल का उद्घोष किया. घंटे, ढोल, मंजीरे और नगाड़ों की ध्वनि से आकाश गूंज उठा.
सिंहद्वार के आसपास एकत्र हुए देशभर से आए श्रद्धालुओं ने रथों पर सवार देव प्रतिमाओं के दर्शन किये. विगत दो साल महामारी के दौरान रथयात्रा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका था.पुरी के प्रतीकात्मक राजा गजपति महाराजा दिब्यसिंह देब ने ‘रथयात्रा’ से पहले शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ एवं उनके दैवीय भाई-बहन के रथों की साफ-सफाई की ‘छेरा पहरा’ रस्म पूरी की
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी पुरी पहुंचकर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल हुए. सीएम पटनायक ने राज्यपाल गणेशी लाल और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ रथ भी खींचा.जगन्नाथ रथयात्रा को लेकर पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा की थी. तब भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर नगर दिखाने के लिए निकले.
रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र तीन भव्य रथों में सवार होकर निकलते हैं. रथयात्रा के दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी जाते हैं और वह ठहरते हैं.5 जुलाई को हेरा पंचमी यानी पहले 5 दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ गुंडिचा मंदिर में वास करेंगे. 8 जुलाई को संध्या दर्शन होंगे.मान्यता है कि संध्या दर्शन पर भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है.