रायपुर। हिंदू संवत्सर के माघ माह की अमावस्या तिथि पर मौन व्रत रखकर शनिदेव की पूजा करने का महत्व है। इस बार मौनी अमावस्या का संयोग 31 जनवरी और एक फरवरी को दो दिन पड़ रहा है। पहले दिन सोमवती और दूसरे दिन भौमवती अमावस्या का संयोग विशेष फलदायी माना जा रहा है।
वज्र और सिद्धि योग
31 जनवरी सोमवार को अमावस्या तिथि शुरू होकर मंगलवार तक रहेगी। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और वज्र योग का संयोग है। मकर राशि का चंद्रमा विराजमान रहेगा। इस दिन पुण्य स्नान करके शिव पूजन करना चाहिए। पितरों के निमित्त श्राद्ध करवाएं।
ग्रहों की युति
मकर राशि में सूर्य, बुध, शनि की युति है। इस दिन शनि अस्त रहेगा। मौन रहकर साधना करें। ज्योतिषाचार्य डा.विनीत शर्मा के अनुसार हर युग में मौन व्रत धारण करने की परंपरा रही है। सतयुग से लेकर कलयुग तक ऋषि मुनि, संत, महात्मा अपना आत्मबल बढ़ाने के लिए मौन व्रत रखते आ रहे हैंं। मौन रहकर तपस्या करने से बुद्धि, बल में वृद्धि होती है। माघ माह की अमावस्या का नाम ही मौनी अमावस्या है, यानी इस दिन मौन रखने का विशेष महत्व है। मौन व्रत रखकर शनिदेव की आराधना करें तो विशेष फल की प्राप्ति होगी।
नदी में लगाएंगे पुण्य की डुबकी
मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु पवित्र नदी में पुण्य की डुबकी लगाएंगे। राजधानी के महादेवघाट पर भी श्रद्धालु डुबकी लगाने पहुंचेंगे। हटकेश्वर महादेव का दर्शन करेंगे।
शनि मंदिर में तेल अभिषेक
चूड़ी लाइन स्थित प्राचीन शनि मंदिर में 31 जनवरी को भगवान शनिदेव के छाया विग्रह पर तेल, तिल अर्पित करके अभिषेक किया जाएगा। शाम को मुख्य प्रतिमा का फूलों से मनमोहक श्रृंगार किया जाएगा।
द्वापर युग का शुभारंभ
ऐसी मान्यता है कि माघ माह की मौनी अमावस्या तिथि से ही द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। ऐसी मान्यता है कि मौनी अमावस्या तिथि पर गंगा नदी का जल अमृत जैसा बन जाता है। इसी मान्यता के चलते गंगा, जमुना, नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में हजाराें श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाते हैं।
दान का विशेष महत्व
मौनी अमावस्या तिथि पर तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, उड़द, चावल, लोहा, जूते दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी।