झारखंड -विभिन्न राज्यों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने कमर कश ली है पार्टी विरोधी नीतियों और एक एकजुटता के लिए कांग्रेस ने एक अध्यक्ष के साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष के फार्मूले पर काम कर रही है
प्रदेश कांग्रेस संगठन में इस बदलाव का इंतज़ार दो साल से था.सन 2019 में जब झारखंड में झामुमो के नेतृत्व में सोरेन सरकार बनी थी, तब सीएम सोरेन ने कांग्रेस नेता उरांव को अपने मंत्रिमंडल में अहम भूमिका दी थी. तभी से कांग्रेस के प्रदेश संगठन को नए सिरे से डिज़ाइन किए जाने के क़यास थे. पिछले दिनों झारखंड कांग्रेस के भीतर असंतोष भी दिखा था. इस पूरे परिदृश्य के बाद राज्य कांग्रेस कमेटी को अलग रूप मिला है, जो पिछले दिनों पंजाब और उत्तराखंड में हुए संगठन बदलाव से मेल खाता है.
झारखंड कांग्रेस संगठन के लिए भी एक प्रदेश अध्यक्ष के साथ चार कार्यकारी अध्यक्षों की नीति अपनाई गई है. इसके पहले उत्तराखंड के बारे में कहा गया था कि छोटा राज्य होने के बावजूद पंजाब वाला फॉर्मूला लगाया गया, उसी तरह अपेक्षाकृत छोटा राज्य होने पर भी झारखंड में यही पैटर्न कांग्रेस ने अपनाया है. हालांकि यह भी गौरतलब है कि इससे पहले भी झारखंड कांग्रेस में चार कार्यकारी अध्यक्षों के पद थे, जो पिछले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र रखे गए थे.
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कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने जो प्रेस विज्ञप्ति बुधवार को जारी की, उसके मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजेश ठाकुर को झारखंड कांग्रेस की कमान सौंपने के साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए. इनमें सबसे खास नाम धनबाद से जलेश्वर महतो का है. उनके अलावा, सांसद गीता कोड़ा, विधायक बंधु तिर्की और शहज़ादा अनवर को ये भूमिकाएं सौंपी गई हैं.
बता दें कि बाघमारा विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके महतो को कांग्रेस में आए तीन साल से भी कम समय हुआ है. पहले वह जनता दल के नेता हुआ करते थे. अब उन्हें कांग्रेस ने अहम ज़िम्मेदारी देते हुए कुर्मी वोटों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश हुई है.
उरांव को कैसे दी गई विदाई?
कांग्रेस ने इस फेरबदल की सूचना देते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर उरांव के योगदान की पार्टी सराहना करती है. इसके साथ ही, वेणुगोपाल ने यह भी लिखा कि कांग्रेस पार्टी कमलेश महतो, इरफान अंसारी, मानस सिन्हा और संजय पासवान के काम की सराहना करती है.