महाराष्ट्र में भरी बरसात जिंदगी के लिए मुसीबत बनी गई जहाँ जान जीवन सब अस्त व्यस्त हो चूका है अभी भी मरे हुए लोगो की खोज जारी है अब तक मृतकों की संख्या बढ़कर 207 हुई, जहाँ 11 लोग अभी भी लापता हैं, राज्य सरकार ने यह जानकारी दी. पिछले सप्ताह भारी बारिश से भीषण बाढ़ और राज्य में विशेषकर तटीय कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हुईं. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पिछले सप्ताह से भारी बारिश और बाढ़ के कारण मारे गए 207 लोगों में सबसे अधिक 95 रायगढ़ जिले से हैं. इसके बाद सतारा में 45, रत्नागिरी में 35, ठाणे में 12, कोल्हापुर में सात, मुंबई उपनगर में चार, पुणे में तीन, सिंधुदुर्ग, वर्ध और अकोला जिलों में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई
बयान के अनुसार 11 लोग अब भी लापता हैं जबकि 51 लोग घायल हुए हैं जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. रायगढ़, सतारा और रत्नागिरी जिलों में अधिकांश मौतें भूस्खलन के कारण हुईं जबकि कोल्हापुर और सांगली में बाढ़ के कारण लोगों की जान गई. महाराष्ट्र में एक जून से अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 294 लोगों की मौत हो चुकी है. आपदा प्रबंधन विभाग से एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय अधिकारी मुख्य रूप से दुर्गम इलाकों और रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इससे उनका कार्य प्रभावित हो रहा है
बयान के अनुसार बाढ़ से 29,100 मवेशी भी मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर सांगली, कोल्हापुर, सतारा और सिंधुदुर्ग जिलों से हैं. पश्चिमी घाट के हिस्से सह्याद्री पहाड़ों पर बारिश ने सतारा, सांगली और कोल्हापुर जिलों से होकर बहने वाली नदियों के जलस्तर को बढ़ा दिया है, जिसके कारण प्रशासन को और अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ा है. अब तक 3,75,178 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है, जिनमें से 2,06,619 अकेले सांगली से हैं
उल्लेखनीय है कि सांगली जिले में भारी बारिश नहीं हुई, लेकिन सतारा जिले के कोयना बांध से अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण सांगली शहर और कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए. बांध कृष्णा नदी की एक सहायक नदी कोयना पर बनाया गया है. निकाले गए लोगों के लिए 259 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से 253 कोल्हापुर में और छह रत्नागिरी जिलों में हैं