जनसंख्या नियंत्रण कानून का मसला अब देश के हर सदन में गूंजने लगा है आज बिहार विधानसभा में भी जनसंख्या नियंत्रण कानून का मुद्दा छाया रहा,ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से कई विधायकों ने यह मांग किया कि दो बच्चों के प्रावधान को बिहार में लागू किया जाये, साथ ही जनसंख्या पर वर्ष 1999 के करुणाकरण कमेटी के सुझावों को भी लागू किया जाये
बिहार विधानसभा में पहली बार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बीजेपी और जदयू के विधायकों ने मुखर होकर सदन के अंदर कानून बनाने की मांग की है. विधानसभा में बीजेपी विधायक विजय कुमार खेमका, अवधेश सिंह, जदयू विधायक विनय चौधरी, बीजेपी विधायक कृष्ण कुमार ऋषि, बीजेपी विधायक डॉ सुनील कुमार ने इस मांग को उठाया. जनसंख्या नियंत्रण कानून को प्रमुखता से उठाने वाले बीजेपी विधायक विजय खेमका ने कहा उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जरूर सुनेगी. जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए. जदयू विधायक विनय चौधरी ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि कानून के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए. नीतीश कुमार की सरकार लगातार जनसंख्या नियंत्रण के लिए अभियान चला रही है.बीजेपी और जदयू के द्वारा जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग का समर्थन कांग्रेस ने भी किया है. कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने के पक्ष में कांग्रेस शुरू से है. संजय गांधी ने तो इसके लिए विशेष अभियान चलाने की भी बात कही थी. हम इस बात के पक्षधर हैं कि बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून बने लेकिन किसी जाति समुदाय या धर्म के लोगों को टारगेट कर यह कानून नहीं बनाया जाना चाहिए.
विधानसभा में उठाए गए सवाल में कहा गया कि बिहार सहित देश में बढ़ती जनसंख्या पर नीतिगत विचार करते हुए अगले 50 वर्षों के हिसाब से नीति निर्धारण की आवश्यकता है. सीमित संसाधन पर विस्फोटक जनसंख्या वृद्धि के कारण संसाधन कम पड़ने लगा है. कृषि योग्य भूमि का आवासीय उपयोग होने लगा है और पानी का दोहन काफी अधिक होने के कारण पानी का स्तर नीचे गिरने लगा है जिसके कारण पर्यावरण पर खतरा उत्पन्न हो गया है. आम आदमी को स्वच्छ हवा भी नहीं मिल रही है . जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों का प्रावधान समुदाय क्षेत्र और जाती सभी पर समान रूप से लागू करने की आवश्यकता है.
वर्ष 1999 के करुणाकरण कमिटी के सुझावों को लागू करने की आवश्यकता है. सरकार द्वारा महिलाओं को शिक्षित कर जनसंख्या पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है इसलिए पर्यावरण संरक्षण एवं सीमित संसाधनों के हिसाब से जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों का प्रावधान समुदाय क्षेत्र और जाति सभी पर समान रूप से लागू की जानी चाहिए. गौरतलब है कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाए जाने पर बीजेपी और जदयू की राय अलग-अलग है लेकिन यह पहला मौका है जदयू के विधायकों ने बीजेपी के सुर में सुर मिलाया है और सबसे बड़ी बात है कि अब इस मामले में विपक्ष का भी साथ बीजेपी को मिलता दिखाई दे रहा है. हालांकि इस मामले में सरकार के द्वारा सदन में कोई जवाब नहीं दिया गया सरकार ने इसका जवाब देने के लिए समय मांगा है लेकिन विधायकों को उम्मीद है कि इस मामले में सरकार उनकी बात जरूर सुनेगी