असम और मिजोरम सीमा विवाद को लेकर हिंसक झड़प का आरोप दो राज्यों असम व मिजोरम के मुख्यमंत्री एक-दूसरे पर लगा रहे हैं। असम पुलिस के छह जवानों की मौत के बाद दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे के खिलाफ खड़ी हो गई है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा भी सोशल मीडिया पर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय भी एक्शन में आया है और मामले को सुलझाने के लिए संवेदनशील इलाके में सीआरपीएफ की चार टीमों को तैनात कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय गृहमंत्रालय ने मामले को सुलझाने के लिए विशेष टीम गठित की है। हालात अभी नियंत्रण में हैं। वहीं दोनों राज्यों को शीर्ष अधिकारी लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं। खुफिया विभाग के कई अधिकारियों ने भी सीमा पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया है। इसके अलावा संवेदनशील इलाकों में सीरआरपीएफ की चार टीमों को तैनात कर दिया गया है। साथ ही 6 टीमों को तैयार रहने को कहा गया है।
इससे पहले दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सोशल मीडिया पर गुहार लगाते हुए नजर आए थे जबकि घटना के एक दिन पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शिलांग में आयोजित एक बैठक में सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की थी।
मृतक पुलिसकर्मियों को मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
बता दें कि सोमवार (26 जुलाई) को असम के कछार जिले में हिंसा भड़की जिसमें असम पुलिस के 5 जवानों की मौत हो गई। इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल होने की खबर है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मृतक पुलिसकर्मियों को सिलचर जाकर श्रद्धांजलि दी व घायलों पुलिसकर्मियों से मुलाकात भी की।
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने एक ट्वीट में कहा, “मुझे जानकारी देते हुए बहुत ही दु:ख हो रहा है कि असम पुलिस के 6 बहादुर जवानों ने असम-मिजोरम सीमा पर राज्य की संवैधानिक सीमा की रक्षा करते हुए अपनी जान की कुर्बानी दे दी है। शोकाकुल परिवारों के साथ सांत्वनाएं हैं।” मुख्यमंत्री सरमा ने मृतक जवानों की संख्या 6 बताई है जबकि अबतक 5 जवानों की मौत की ही पुष्टि की गई है।
वहीं दूसरी ओर मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने भी सोमवार को एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में भीड़ असम-मिज़ोरम सीमा पर पुलिसकर्मियों से झड़प करती हुई नजर आ रही है। मुख्यमंत्री ज़ोरामथंगा ने अपने पोस्ट में लिखा, “श्री अमित शाह जी, कृपया मामले को देखें। इसे तत्काल रोके जाने की जरूरत है।” जोरामथंगा ने एक और वीडियो पोस्ट किया जिसमें लिखा, “कछार के जरिए मिज़ोरम लौट रहे मासूम लोगों के साथ गुंडों ने हाथापाई की। आप इन हिंसक कृत्यों को कैसे जायज ठहराएंगे?”
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने केंद्रीय गृहमंत्री को संबोधित करते हुए ट्वीट किया, “माननीय ज़ोरामथंगा जी हमें हमारी चौकियों से हटने के लिए कह रहे हैं, उनके लोग ना ही सुनेंगे और ना ही हिंसा को रोकेंगे। ऐसे हालात में हम कैसे सरकार चला सकते हैं? उम्मीद है आप जल्दी ही इस पर हस्तक्षेप करेंगे।” मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने असम पुलिस पर घुसपैठ का आरोप लगाया है।
इस बीच कांग्रेस ने सीमा पर विवाद पर हुई हिंसक झड़प के मामले में सात सदस्यीय कमेटी बना दी है। कमेटी मामले की रिपोर्ट पार्टी की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगी। कमेटी में सांसद गौरव गोगोई को भी शामिल किया गया है।
क्या है राज्यों की सीमा का विवाद
मिज़ोरम साल 1972 में असम से अलग होकर एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बना था और 1987 तक यह पूर्ण राज्य बन गया था। दोनों राज्यों ने अतीत में 164.6 किलोमीटर लंबी इस अंतर-राज्यीय सीमा पर लड़ाई की है, जिससे कभी-कभी हिंसक झड़पे होती हैं। मिजोरम पक्ष के मुताबिक, असम के लोगों ने यथास्थिति का उल्लंघन किया है- जैसा कि कुछ साल पहले दो राज्य सरकारों के बीच सहमति हुई थी।
कोलासिब के उपायुक्त एच. लालथंगलियाना के मुताबिक असम के लैलापुर के लोगों ने यथास्थिति को तोड़ा है और कथित तौर पर कुछ अस्थायी झोपड़ियों का निर्माण किया है। मिजोरम के अधिकारियों के मुताबिक असम द्वारा दावा की गई जमीन पर मिजोरम के निवासियों द्वारा लंबे समय से खेती की जा रही है।
मिजोरम के दावा के मुताबिक यह जमीन उनकी है, 1875 की एक अधिसूचना पर आधारित है, जो 1873 के बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट से आई थी। इस एक्ट के अनुसार ब्रिटिशों ने उनके क्षेत्र में बाहरी लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने औ उन्हें नियंत्रित करने के नियम बनाए। अन्य राज्यों से आने वाले भारतीय नागरिकों के लिए इनर लाइन परमिट की व्यवस्था थी।
वहीं असम पक्ष राज्य सरकार द्वारा 1933 की एक अधिसूचना का हवाला देते यह जमीन अपनी मानता है। इस अधिसूचना में लुशाई हिल्स का सीमांकन किया गया था। औपनिवेशिक काल में मिजोरम को असम के एक जिले लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था।
1904 में लुशाई हिल्स का विलय किया गया और सीमा रेखा खींची गई। इसके बाद असम सरकार के तहत बाद के संशोधनों के बाद कछार और मिज़ोरम के बीच सीमा 1933 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार बनाई गई, जिस पर अभी की असम सरकार कायम है।
वहीं मिज़ोरम पक्ष के नेताओं का मानना है कि सीमांकन को लेकर 1933 की अधिसूचना के लिए मिजो समाज से परामर्श नहीं लिया गया था। मिजोरम की सरकार मानना है कि सीमा का सीमांकन किया जाना चाहिए जैसा कि 1875 की अधिसूचना में कहा गया है, असम का पक्ष है कि 1933 के सीमांकन का पालन किया जाना चाहिए।