कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां का प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहा। अग्रसेन चौक पर किसानों ने धरना देकर केंद्र सरकार के खिलाफ रोष जताया। इसके अलावा 26 मार्च को भारत बंद आंदोलन को सफल बनाने के लिए बैठक कर रणनीति बनाई गई। यूनियन के जिला महासचिव दरबारा सिंह ने बताया कि 26 मार्च को सुबह छह बजे सुनाम-पटियाला मुख्य मार्ग को बाधित किया जाएगा और शाम छह बजे तक आंदोलन चलेगा।
धुरी में रेलवे ट्रैक पर धरना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द किए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा और इसके लिए सभी का सहयोग जरूरी है। किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि 26 मार्च को सभी अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर सुनाम के आईटीआई चौक पर होने वाले आंदोलन में हिस्सा लें।
30 मार्च को गांव चट्ठा ननहेड़ा में सम्मेलन
भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर की बैठक बुधवार को गुरुद्वारा श्री नानकियाना साहिब में जिला महासचिव रण सिंह चट्ठा की अध्यक्षता में हुई। बैठक के दौरान 30 मार्च को गांव चट्ठा ननहेड़ा के स्टेडियम में संयुक्त मोर्चा की चढ़दी कला के लिए किसानों, नौजवानों, मजदूरों, आढ़तियों, मुनीमों, दुकानदारों और पंचायतों की ओर से करवाए जा रहे ‘मिट्टी दे पुत्तां दा महासम्मेलन’ की तैयारियों के संबंध में विचार विमर्श किया गया। इस मौके पर रण सिंह चट्ठा ने कहा कि महासम्मेलन के लिए सभी कार्यकर्ताओं की ड्यूटी लगा दी गई हैं।
26 को बठिंडा में नहीं दौडे़ंगी निजी बसें
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों ने 26 मार्च को भारत बंद का एलान किया है। बुधवार को निजी बस एसोसिएशन के अध्यक्ष नरपिंदर सिंह जलाल ने किसानों के बंद का समर्थन करते हुए एलान किया कि 26 को जिले में कोई भी निजी बस सड़कों पर नहीं दौडे़गी।
निजी बस एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष नरपिंदर सिंह जलाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वह पूरी तरह से किसानों के भारत बंद का समर्थन करते हैं। जिला अध्यक्ष ने बताया कि 26 मार्च को निजी बस एसोसिएशन बसों का संचालन बंद रखेगा। इसके अलावा एसोसिएशन के सदस्यों ने किसानों के हक एवं केंद्र सरकार के विरोध में चक्का जाम कर प्रदर्शन किया।
कृषि कानूनों के खिलाफ वकीलों ने किया प्रदर्शन
उधर, जालंधर में कृषि कानूनों के खिलाफ बुधवार को देश भगत यादगार हाल के बाहर वकीलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान वकीलों ने ‘भगत सिंह तेरी सोच ते पहरा देआंगे ठोक के’ के नारे भी लगाए। वकीलों ने कृषि सुधार कानून को वापस लो जैसे नारे लगाए। एडवोकेट रजिंदर सिंह मंड ने कहा कि यह देश भगत सिंह के सपनों का देश नहीं है, उनके सपने पूरे करने के लिए हमें अंग्रेजों के बाद अब आरएसएस के खिलाफ आजादी की दूसरी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। इस मौके पर देश भगत यादगार कमेटी के सीनियर ट्रस्टी सुरेंदर कुमारी ने कहा कि देश की आजादी में वकीलों का बड़ा रोल रहा है।