पश्चिम बंगाल की राजनीति अजीब करवट ले रही है जहां खुद को बंगाल की बेटी बता ममता सियासी चाल चलने के फेर में हैं वहीं नए नवेले भाजपा के नेता और बॉलीवुड के सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती जब टीएमसी से मोह भंग कर भाजपा में शामिल हुए तो खुद को बंगाल का बेटा साबित करने के जुगाड़ में लग चुके हैं ,हो ना हो भारतीय जनता पार्टी यहां अपने मुद्दे साध कर बंगाल की बेटी के जवाब में बंगाल का बेटा खड़ा करने की जुगाड़ में है पूरी तरीके से बंगाल की राजनीति को बदलने और विकास के मुद्दे को गौण करने के प्रयास में दोनों ही पार्टियां अब खुद को बंगाल का चहेता घोषित करने के प्रयास में है,
प्लासी के युद्ध से लेकर वर्तमान राजनीतिक रण के गवाह इस मैदान के बारे में कहा जाता है कि ब्रिगेड परेड ग्राउंड जिसका, बंगाल भी उसका। अपने दौर के दिग्गज बॉलीवुड स्टार रहे मिथुन दा ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहा कि मुझ पर भरोसा रखना, मैं जो कहता हूं, वो करता हूं। सैकड़ों बांग्ला फिल्मों में भी अपने अभिनय का जादू चलाने वाले 60 वर्षीय मिथुन उम्र में पीए मोदी से तीन माह बड़े हैं।
कभी वामपंथ का झंडा उठाकर जल-जंगल-जमीन की बात करने वाले मिथुन साल 2011 में तृणमूल कांग्रेस के हो गए। नवनियुक्त मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर उन्होंने पार्टी बदल ली। 2014 में ममता दीदी ने उन्हें राज्यसभा भी भेजा, लेकिन फिर साल 2016 के आखिर में मिथुन ने उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से संन्यास ले लिया। उस वक्त मिथुन ने अपनी सेहत का हवाला देकर राजनीति छोड़ी थी। दरअसल मिथुन चक्रवर्ती की राजनीति छोड़ने की शुरुआत उसी वक्त से हो गई थी जब उनका नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आया था। बीते दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात ने उनकी बीजेपी में एंट्री की अफवाहों का बाजार गर्म किया अब जब वह आधिकारिक तौर पर भाजपाई बन ही गए हैं तो फिर से यह कहावत याद आ गई कि राजनीति में कहीं भी, कुछ भी हो सकता है।
ब्रिगेड परेड मैदान में महारैली को संबोधित करते हुए मिथुन ने मंच से कई फिल्मी डायलॉग मारे। खुद को कोबरा बताने से भी नहीं हिचके। मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि मैं जो कहता हूं, वो करता हूं। जब मैं 18 साल का था, तब से कामना थी कि गरीबों के लिए कुछ करूं और आज वो सपना पूरा हो रहा है। मैं दिल से बंगाली हूं। मेरा मानना है कि जो बंगाल में रह रहा है, वो बंगाली है। मुझ पर भरोसा रखना, मैंने किसी का साथ नहीं छोड़ा है।’
स्वाभाविक तौर पर मिथुन की इस नई राजनैतिक चाल से ममता बनर्जी कतई खुश नहीं हैं। बावजूद इसके दोनों के बीच मधुर संबंध बरकरार है। मंच से भी उन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा, सिर्फ पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांधते रहे। एक्टर की पत्नी योगिता बाली भी अक्सर ममता के साथ कई मंच साझा करते देखी जा सकतीं हैं।
महारैली के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा में मेरा क्या रोल होगा ये आप 12 मार्च को देखिएगा। 12 तारीख से हमारा अभियान शुरू हो रहा है। मैं उसमें भाग लूंगा। पार्टी के सूत्रों की माने तो मिथुन तृणमूल द्वारा उठाए जा रहे ‘बाहरी’ के मुद्दे का जवाब होंगे। बीजेपी ने सीएम ममता के इन आरोपों को नेस्तनाबूद करने के लिए ही मिथुन को उतारा है। 29 दिसंबर को एक रैली के दौरान ममता ने कहा था, ‘विवेकानंद को मन से जानना होगा। रामकृष्ण को जानना होगा। शारदा मां को जानना होगा। मां तारा को जानना होगा। बोलपुर को जानना पड़ेगा। बेलुर को जानना होगा। दक्षिणेश्वर और कालीघाट को भी जानना होगा।’ साथ ही साथ अमित शाह और कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता भी उनके निशाने पर रहते थे।
ममता बनर्जी को पूरा पश्चिम बंगाल दीदी कहता है, लेकिन इस चुनाव में उन्होंने रणनीति बदली। तृणमूल कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं। मौजूदा विधानसभा चुनाव में ‘दीदी’ की जगह अब उन्हें ‘बेटी’ प्रोजेक्ट किया जा रहा है। शायद इसी के तोड़ में बीजेपी ने बंगाल की बेटी के जवाब में बंगाल का बेटा उतारा है। रविवार को भाजपा प्रवेश के दौरान मिथुन चक्रवर्ती पारंपरिक बंगाली पोशाक में नजर आए थे। धोती-कुर्ता के साथ धाराप्रवाह बांग्ला और हिंदी के अद्भुत संयोजन वाले मिथुन चक्रवर्ती क्या वोटर्स को लुभा पाएंगे, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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