1 फरवरी को पेश किए जाने बजट में स्वास्थ्य का बजट जब पेश होगा तो मौजूदा वित्त वर्ष में 67484 करोड रुपए के बजट को बढ़ाकर 1.2 7.3 लाख करोड़ किया जा सकता है, ये अब तक का सबसे बड़ा सबसे बड़ा देश का स्वस्थ बजट होगा ,लेकिन बातें यहीं खत्म नहीं होती है कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार अगले बजट पर स्वास्थ्य पर खर्च भी बढ़ा सकती है, यानी सीधा इसका मतलब लोगों पर भी पड़ेगा ,क्योंकि जैसे ही स्वस्थ बजट बढ़ रहा है वैसे ही लोगों के जेब पर भी इसका भार गिरने वाला है,
हेल्थ सेस अभी 1%, इसे बढ़ा सकती है सरकार
सूत्रों ने कहा कि सीतारमण भारत के हेल्थकेयर खर्च को जीडीपी के 4% तक ले जाने के उद्देश्य से चार साल के स्वास्थ्य बजट की योजना पेश कर सकती हैं। सरकार नए प्रोग्राम की फंडिंग के लिए हेल्थकेयर सेस को भी बढ़ा सकती है। वर्तमान में यह सेस इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स का 1 फीसदी है। हर साल सरकार को हेल्थ सेस से लगभग 150-160 अरब रुपए मिलते हैं।
जर्मनी स्वास्थ्य सेवाओं पर सबसे ज्यादा खर्च करता है
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च जीडीपी का 1.3% ही है। अगले चार सालों में इसे जीडीपी का 4% करने का लक्ष्य रखा गया है। यह विकसित और BRICS देशों (ब्राजील-रूस-इंडिया-चीन-साउथ अफ्रीका) की तुलना में काफी कम है। चीन में जीडीपी का 3.2%, अमेरिका में 8.5% और जर्मनी में 9.4% खर्च हेल्थ पर होता है। भारत में आम लोगों के खर्च को भी शामिल करें तो यह जीडीपी का 3% हो जाता है जबकि ग्लोबल औसत 8% है।