नए कृषि कानून के मुद्दे पर सरकार और किसानों के बीच अभी बातचीत का दौर खत्म नहीं हुआ , क्योंकि हर दौर की बातचीत पर कुछ ना कुछ पेच फंसा हुआ रहता है , कभी किसी बातों पर सरकार की तैयारी नहीं होती तो किसी बातों पर किसान मानने को तैयार नहीं है, क्योंकि किसानों की जीद सीधे एक ही बात की है कि कृषि कानून रद्द हो, ना कि छोटे से संशोधन को माना जाए कृषि कानून वापसी को लेकर जितनी पेंच सरकार और किसानों में फंसी हुई है, उसे देखते हुए अब तक आठ दौर के बातचीत हो चुका है लेकिन अब तक बात नहीं बन पाई , फिर से एक मुलाकात का दौर 8 जनवरी को होने वाला है! 8 जनवरी की मुलाकात शायद एक डेडलाइन हो, लेकिन जिस प्रकार का रूख किसानों का है वह सरकार को राहत देने लायक तो नहीं लग रहा है , फिर से एक बार जब आमने-सामने सरकार और किसान होंगे तो पता चलेगा की सहमति बनेगी या नहीं !
अब किसानों और सरकार के बीच 8 जनवरी को बैठक होनी है. तबतक आंदोलन पहले की तरह चलता रहेगा. किसानों ने पहले ही 6 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है, इसके अलावा 26 जनवरी तक अलग-अलग तरीकों से आंदोलन को हवा दी जाएगी.
सोमवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में कोई नतीजा नहीं निकला. किसानों ने बैठक में एक बार फिर कानूनों को वापसी लेने की मांग की, जिसके बाद आगे कोई चर्चा नहीं हो सकी. हालांकि, सरकार ने किसानों ने एमएसपी पर मंथन करने को कहा, लेकिन बात नहीं बन सकी.