नई दिल्ली. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच तनातनी को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में आगामी राजस्थान चुनाव को लेकर चार अहम बैठक की. इस दौरान कई अहम फैसले लिए गए. सबसे अहम फैसला राजस्थान चुनाव में कांग्रेस पार्टी द्वारा बिना किसी सीएम पद के चेहरे के मैदान में उतरने का है. मतलब साफ है कि अभी यह तय नहीं है कि चुनाव जीतने की स्थिति में गहलोत को एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया जाएगा या नहीं. राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा. कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आगामी चुनाव के संबंध कई अहम जानकारियां दी.
राजस्थान को लेकर दिल्ली में हुई बैठक के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 29 वरिष्ठ सदस्य मौजूद रहे. इस दौरान सभी ने एक स्वर में मिलकर राजस्थान चुनाव लड़ने की बात कही. केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सभी नेताओं ने मिलकर चुनाव लड़ने की बात कही है. प्रत्याक्षी के जीतने की उम्मीद के आधार पर ही चुनाव के लिए उन्हें चुना जाएगा. सितंबर के पहले सप्ताह तक सभी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा हो जाएगी.
क्या थी सचिन पायलट की मांग?
इस मीटिंग के दौरान सचिन पायलट के मुद्दों को भी सुना गया. पायलट की मुख्यता तीन मांगे थी. पहला- वसुंधरा राजे के भ्रष्टाचार की जांच पर सरकार कमेटी बनाए, जिसे मान लिया गया. दूसरा- पेपर लीक मामले ने उमक्रकैद की सजा का प्रावधान की मांग को भी माना गया. तीसरा- राजस्थान पब्लिक सर्विस कमीशन में गड़बड़ी ठीक करने संबंधी कदम उठाए जाएंगे. इसे भी मान लिया गया है.