रेल के पहियों में एक नई गति लगने जा रही है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को जोड़ने के लिए अलग-अलग एलिवेटेड ट्रैक बनाया जाएगा ! इस ट्रैक पर अधिकतम 320KM की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जाएंगी, देश को रफ्तार देने के इस फैसले का आम जनमानस स्वागत कर रही है क्योंकि अब तक रेल की रफ्तार जो थी वह फिसड्डी साबित हो रही थी ! लेकिन 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की खबर ने रेल के पहिए मे एक नई ऊर्जा डालने और लोगों के लिए एक अच्छी खबर दे दी है!
ट्रैक पर कुछ जगह अंडरग्राउंड रेलवे लाइन भी होगी। इस ट्रैक पर अधिकतम 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। इसके लिए 13 दिसंबर से हेलिकॉप्टर से लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) सर्वे शुरू किया जाएगा। इस तकनीक से 800 किमी. का सर्वे 12 हफ्तों में पूरा हो जाएगा, जबकि इसी तरह के मानवीय सर्वेक्षण में एक साल तक लग जाता है।
कानपुर-लखनऊ मार्ग भी शामिल होंगे
यह ट्रैक इस हिसाब से बनाया जाएगा कि न सिर्फ कानपुर बल्कि लखनऊ को भी इससे जोड़ा जा सके। इसके लिए कुछ स्टेशन भी बनेंगे। यह बेहद प्रारंभिक प्रक्रिया है। इसके बाद सर्वे रिपोर्ट रेलवे मंत्रालय को भेजी जाएगी। स्वीकृति के बाद डीपीआर बनेगी और टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। यह काम रेलवे मंत्रालय के अधीन काम करने वाली संस्था नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) से करा रहा है।
लिडार तकनीक मूलत: लेजर लाइटों और सेंसर पर आधारित होती है। इस तकनीक का इस्तेमाल पहले मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर के सर्वेक्षण में किया जा चुका है। इसका सर्वेक्षण डाटा बेहद सटीक होता है। हेलिकॉप्टर में अत्याधुनिक हाई रिजोल्यूशन कैमरे लगते हैं। लेजर डाटा, जीपीएस डाटा, फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक तस्वीरों से मिली जानकारी के आधार पर काम किया जाता है।
रक्षा मंत्रालय ने 13 दिसंबर से हवाई सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली से वाराणसी तक घनी आबादी होने, खेत, नदियां होने की वजह से हवाई सर्वेक्षण सटीक और आसान है