नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज दशहरा के मौके पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन से लगी सीमा पर सेना के जवानों के साथ युद्ध स्मारक पर अपनी जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अरुणाचल प्रदेश में बुम ला से सीमा के दूसरी ओर चीनी पीएलए की चौकियों का जायजा लिया. अरुणाचल प्रदेश में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी पर तवांग में शस्त्र पूजा की. वहीं दिल्ली के लाल किला मैदान में दशहरा समारोह की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी हैं. रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के विशाल पुतले तैयार किए गए हैं. दशहरा के लिए दिल्ली के लाल किला मैदान में रावण, मेघनाद और कुंभकरण समेत सनातन धर्म का विरोध करने वालों का पुतला भी दहन करने के लिए लगाया गया है.
तवांग में भारतीय सेना को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘आप ने सीमाओं को सुरक्षित बना रखा है. इसी कारण भारत की अंतरराष्ट्रीय जगत में प्रतिष्ठा बड़ी तेजी से बढ़ रही है… अगर आप लोगों ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को सुरक्षित नहीं रखा होता तो अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का आज जो कद बना है, ये कद न बना होता. लोग ये मान रहे हैं कि भारत आर्थिक तौर पर मजबूत हो रहा है साथ ही भारत की सैन्य शक्ति भी बढ़ी है.’ तवांग में राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘4 साल पहले मैं यहां आया था, मेरी इच्छा हुई कि विजयादशमी के पावन अवसर पर मैं अपने बहादुर जवानों के बीच आकर शुभकामनाएं दूं.’
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘मैं आप सभी को विजयादशमी की बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. LAC के पास तक जाकर मैंने देखा है. जिन कठिन परिस्थितियों में आप देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है.’ राजनाथ सिंह ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान पर सैनिकों के साथ दशहरा ऐसे समय मनाया है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली कुछ जगहों पर तीन साल से अधिक समय से गतिरोध बना हुआ है. जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.
भारत कहता रहा है कि चीन के साथ उसके संबंध तब तक सामान्य नहीं हो सकते जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होती. सेना ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों सहित करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती को काफी बढ़ा दिया है.