नई दिल्ली. यूं तो भारत में मौजूदा वक्त में कोरोना वायरस का असर ज्यादा नहीं है लेकिन विशेषज्ञों की माने तो खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है. मौजूदा वक्त में दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस फिर से पैर पसार रहा है. इस बार अमेरिका-ब्रिटेन में एक नए कोविड वैरिएंट्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इसे कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट्स कहा जा रहा है. अस्पतालों में इस वायरस के संक्रमित रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि एक अच्छी बात यह है कि नए वैरिएंट्स से गंभीर रोगों का जोखिम अब तक सामने नहीं आया है.
बताया जा रहा है कि इस वायरस की संक्रामकता दर भले ही अधिक हो लेकिन लोगों को कोरोना के इस नए वैरिएंट्स से ज्यादा गंभीर खतरा नहीं है. हालांकि एहतियात के तौर पर लोगों को इससे सावधानी बरतते की सलाह दी गई है. रिपोर्ट्स की माने तो नए वैरिएंट्स के मुताबिक वैक्सीनों को भी अपडेट किया गया है, ताकि संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके.
अपडेटेड बूस्टर डोज की जरुरत किसे है?
यहां यह सवाल उठता है कि क्या लोगों को नए वैरिएंट से बचने के लिए फिर से किसी बूस्टर डोज की जरूरत होगी. बताया जा रहा है कि अमेरिका में अब तक 70 लाख लोगों को अपडेट की गई वैक्सीन दी जा चुकी है. विशेषज्ञों की माने तो नया वैरिएंट ज्यादा खतरनाक नहीं है. लिहाजा लोगों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही इस वैरिएंट से लड़ने के लिए काफी है. साथ ही यह भी कहा गया कि ये मरीज दर मरीज अलग हो सकती है. ऐसे में लोगों के रिस्क टॉलरेंस, पिछली बार हुए संक्रमण की गंभीरता पर भी काफी हद तक निर्भर करता है कि उन्हें अपडेटेड बूस्टर डोज की जरूरत है या नहीं.
किसे जरूर दी जाए अपडेटेड वैक्सीन?
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि अमूमन 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अपेडेटेड वैक्सीन की जरूरत हो सकती है. बढ़ती उम्र के साथ लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इसके अलावा डायबिटीज जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपडेटेड टीके दिए जाने चाहिए. साथ ही अगर आप कोई ऐसी दवा ले रहे हैं, जो आपकी प्रतिरोधक प्रणाली को कमजोर करती हैं, ऐसी स्थिति में अपडेटेड कोरोन वैक्सीन आवश्यक है.