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बंदी सिख’ आंदोलन को लेकर पंजाब-हरियाणा में अलर्ट

चंडीगढ़. पंजाब में ‘बंदी सिखों’ की रिहाई को लेकर चल रहे आंदोलन ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. एजेंसियों ने इस मामले में खालिस्‍तानी (Khalistani) समर्थक कट्टरपंथियों की एंट्री की आशंका जताई है तो वहीं दूसरी तरफ मतभेद के बावजूद किसान यूनियनों ने इस मामले में प्रदर्शन का ऐलान किया है. विरोध प्रदर्शनों के कारण पहले ही पुलिस और कौमी इंसाफ मोर्चा के कुछ कट्टरपंथी सदस्यों के बीच हिंसक झड़पें हो चुकी हैं, जो विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं. इसमें 40 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. अभी तक किसान यूनियनों को खालिस्तान समर्थक समूहों से खुद को दूर करते देखा गया था. किसानों के विरोध के दौरान भी किसान यूनियनों ने कट्टरपंथी तत्वों से दूर रहने की कोशिश की थी. इस बार नजारा बदला हुआ सा नजर आ रहा है.

बंदी सिख मुद्दे पर किसान यूनियन आगे बढ़कर कट्टरपंथियों के मोर्चे को एक मंच मुहैया कराती नजर आ रही हैं. पिछले महीने, 32 कृषि संगठनों ने कौमी इंसाफ मोर्चा को अपना समर्थन देने का फैसला किया था. चंडीगढ़-पंजाब सीमा पर चल रहे विरोध के लिए सबसे पहले अपने सदस्यों को भेजने वाला कीर्ति किसान यूनियन था, जिसे उग्रवाद के दिनों में खालिस्तानियों के हाथों सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा था और इसके तीन अध्यक्षों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कीर्ति किसान यूनियन के रमिंदर सिंह पटियाला ने कहा कि ‘हम निर्णय से पीछे नहीं हट सकते; यह सभी किसान संघों का सामूहिक निर्णय था. हमारा दृढ़ विश्वास है कि जिन कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली है, उन्हें रिहा कर दिया जाना चाहिए.’

मतभेद के बावजूद किसान संघों ने दिया समर्थन
कट्टरपंथी समूह को समर्थन देने के मुद्दे पर किसान संघों के बीच कुछ मतभेदों के बावजूद, सिख कैदियों की रिहाई के भावनात्मक मुद्दे पर यूनियन के पदाधिकारियों को अपनी एकजुटता व्यक्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. प्रमुख कृषि संघों में से एक, बीकेयू-उगराहन ने शुरू में विरोध प्रदर्शनों से दूर रहने का फैसला किया था, लेकिन हाल ही में इस शर्त के साथ समर्थन करने का फैसला किया कि यह एससी, एसटी, धार्मिक और माओवादी समूह सहित सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए है.

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विरोध प्रदर्शन से कट्टरपंथियों को पनपने का मौका 
सुरक्षा एजेंसियों को डर है कि किसान संघ द्वारा “उचित कारण” के लिए समर्थन का दावा करने के बावजूद, उसका यह विरोध प्रदर्शन कट्टरपंथी तत्वों को पैदा करने के लिए जरिया बन रहा है. वामपंथी प्रभुत्व वाले कृषि संघों के समर्थन के बावजूद, मोहाली विरोध स्थल पर युवाओं का एक वर्ग साम्यवाद विरोधी नारे लगा रहा है. एक अधिकारी ने कहा कि हम स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं. हमें संदेह है कि कट्टरपंथी तत्वों ने विरोध प्रदर्शन को अपने कब्जे में ले लिया है और यह और बढ़ सकता है.

पंजाब पुलिस ने लगाए कैमरे, खालिस्‍तानियों की पहचान होगी
पंजाब पुलिस, जो पिछले सप्ताह के विरोध प्रदर्शनों के दौरान निष्क्रियता के लिए निशाने पर आई थी, ने अब प्रदर्शनकारियों पर नज़र रखने के लिए विरोध स्थल पर निगरानी कैमरे लगा दिए हैं. पिछले विरोध में भी, ISI ने खालिस्तान भावनाओं को भड़काने की कोशिश की है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसलिए हमें कट्टरपंथी तत्वों को खोज निकालने के लिए विरोध प्रदर्शनों पर नजर रखने की जरूरत है. इस बीच, पंजाब पुलिस ने सोमवार को सेक्टर 52 और 53 की विभाजित सड़कों पर बंदी सिख प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए मोहाली-चंडीगढ़ सीमा पर सात बख्तरबंद ट्रैक्टर तैनात किए.

 

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