मोरबी. गुजरात पुल हादसे में 135 लोगों की मौत के आरोपियों में से एक ने अदालत को बताया कि यह घटना ‘भगवान की इच्छा’ (एक्ट ऑफ गॉड) थी. यह टिप्पणी 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के प्रबंधक दीपक पारेख की है. वह रविवार को पुल ढहने के बाद गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से एक है. उसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान से कहा कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई.
NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार मोरबी के पुलिस उपाधीक्षक पीए जाला ने अदालत को बताया कि पुल की केबल में जंग लग गई थी और मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ने इसे नहीं बदला था. मालूम हो कि सरकार की मंजूरी या गुणवत्ता परीक्षण के बिना 26 अक्टूबर को पुल को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था. पुलिस अधिकारी ने आगे कहा कि रखरखाव और मरम्मत के हिस्से के रूप में, केवल प्लेटफॉर्म को बदला गया था. पुल एक केबल पर था और केबल की कोई ग्रीसिंग नहीं की गई थी. जहां से केबल टूटी वहां से केबल में जंग लग गया था. अगर केबल ठीक कर दी जाती तो यह घटना नहीं होती.
वहीं एक अभियोजक ने न्यायाधीश को बताया कि पुल की मरम्मत करने वाले ठेकेदार सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए योग्य नहीं थे. अभियोजक ने कहा कि अयोग्य होने के बावजूद ठेकेदारों को 2007 में और फिर 2022 में पुल की मरम्मत का काम दिया गया था. चूंकि केबल नहीं बदले गए थे, इसलिए वे टूट गए क्योंकि वे केबल पर लगाए गए नए फर्श का भार नहीं उठा सके. फर्श में इस्तेमाल होने वाली चार-परत एल्यूमीनियम शीट के कारण पुल का वजन बढ़ गया था.
वहीं अहमदाबाद में ओरेवा कंपनी का फार्महाउस बंद है और खाली पड़ा है. पुलिस की एफआईआर में ओरेवा के शीर्ष अधिकारियों या कंपनी को ठेका देने वाले मोरबी नगर निगम के अधिकारियों का जिक्र नहीं है. ओरेवा समूह के एक अन्य प्रबंधक दीपक पारेख और पुल की मरम्मत करने वाले दो उप ठेकेदारों को शनिवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. गिरफ्तार किए गए सुरक्षा गार्ड और टिकट बुकिंग क्लर्क सहित पांच अन्य लोग न्यायिक हिरासत में हैं.