पटना. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बिहार के मौसम को लेकर अलर्ट जारी किया है. आईएमडी ने सूबे के 10 जिलों में आंधी-तूफान के साथ जोरदार बारिश की संभावना जताई है. इन जिलों में ठनका गिरने की आशंका भी जताई गई है. मौसम के मिजाज में परिवर्तन को लेकर मौसम विभाग की ओर से बिहार के इन 10 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. आकाशीय बिजली गिरने की आशंका को देखते हुए मौसम विज्ञानियों ने बारिश के दौरान लोगों से घरों में ही रहने की अपील की गई है, ताकि किसी तरह की अनहोनी न हो. बता दें कि बरसात के मौसम में ठनका की चपेट में आने से प्रदेश में सालाना बड़ी तादाद में लोगों को जान गंवानी पड़ती है. इसके साथ ही संपत्ति का नुकसान भी उठाना पड़ता है.
बिहार में मौसम का मिजाज तल्ख हो सकता है. तेज हवा, वज्रपात और गरज के साथ प्रदेश के कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई गई है. भारतीय मौसम विभाग ने दोपहर बाद 3 बजे तक के लिए येलो अलर्ट जारी किया है. IMD की ओर से बिहार की राजधानी पटना के साथ ही सीवान, सारण, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण के लिए अलर्ट जारी किया गया है. मौसम विज्ञानियों ने इन जिलों के लोगों को खासकर वज्रपात को लेकर सावधान रहने की सलाह दी है. बता दें कि इससे पहले मौसम विभाग ने प्रदेश में कहीं-कहीं बारिश होने की संभावना जताई थी. अब आईएमडी को लेकर तकरीबन 1 दर्जन जिलों के लिए अलर्ट जारी किया गया है.
बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून
बिहार में इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून अपेक्षा से कम सक्रिय रहा. प्रदेश के कई हिस्सों में अभी तक औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. इससे फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचने का अंदेशा बढ़ गया है. पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष अभी तक सामान्य से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है. बता दें कि मानसून के सीजन में धान की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत होती है, लेकिन इस बार मानसून के रूठे रहने की वजह से धान की रोपाई के रकबे में कमी दर्ज की गई है.
उत्तरी बिहार के कई जिलों में बाढ़
उत्तरी बिहार की प्रमुख नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं. बाढ़ का पानी घरों के साथ ही खेतों में भी घुस गया है, जिससे फसलों को व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. गंडक और कोसी नदियों के उफनाने की वजह से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना है. जमीन कटाव की वजह से कई घर भी नदी में समा चुके हैं.