नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अजीबो गरीब बयान देते हुए भारत की आर्थिक स्थिति को सही बताया उन्होंने कहा की महंगाई काबू में है उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति कम होकर वहनीय स्तर पर पहुंच गई है इसलिए सरकार के लिए देश की आर्थिक वृद्धि ही प्राथमिकता बनी हुई है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि रोजगार सृजन और धन का समान वितरण वे अन्य क्षेत्र हैं जिन पर सरकार का ध्यान है. उन्होंने कहा, ‘‘कुछ निश्चित तौर पर प्राथमिकताएं हैं और कुछ उतनी महत्वपूर्ण नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि प्राथमिकताओं में शामिल हैं रोजगार, धन का समान वितरण और यह सुनिश्चित करना कि भारत वृद्धि के रास्ते पर बढ़े. वित्त मंत्री ने आगे कहा, ‘‘इस लिहाज से मुद्रास्फीति प्राथमिकता नहीं है. आपको इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए. बीते कुछ महीनों में हम इसे वहनीय (नियंत्रण योग्य स्थिति) स्तर पर लाने में कामयाब रहे हैं.’’
आर्थिक अस्थिरता से निपटने में सक्षम आरबीआई
वित्त मंत्री ने भरोसा जताया कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व और यूरोपीयन सेंट्रल बैंक द्वारा दरों में तेज वृद्धि से उत्पन्न अस्थिरता से रिजर्व बैंक निपट लेगा. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण पैदा हुए वैश्विक ऊर्जा संकट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता अब भी बनी हुई है. उन्होंने भुगतान प्रौद्योगिकी समेत हर लिहाज से भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और गहरा करने का आह्वान किया.
जुलाई में कैसी थी महंगाई की स्थिति
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में खाद्य वस्तुओं के दाम में नरमी से मुद्रास्फीति कम होकर 6.71 फीसदी पर आ गई हालांकि यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा 6.0 प्रतिशत से लगातार सातवें महीने ऊपर बनी रही. जून 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत जबकि जुलाई 2021 में यह 5.59 प्रतिशत थी. अप्रैल से जून के बीच यह सात फीसदी के ऊपर बनी रही
महंगाई बढ़ने के आसार
वहीं, डॉयचे बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त में मुद्रास्फीति एक बार फिर बढ़कर 7 फीसदी के करीब पहुंच सकती है. अगर ऐसा होता है तो यह लगातार आठवां महीना होगा जब महंगाई दर 6 फीसदी से ऊपर रहेगी. गौरतलब है कि आरबीआई ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए 4 महीने में 3 बार रेपो रेट बढ़ाई है.