पटना. भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमानों के अनुसार ही बिहार में बुधवार को राजधानी पटना समेत कई इलाकों में तेज से मध्यम दर्जे की बारिश रिकॉर्ड की गई. IMD ने एक बार फिर से प्रदेश में आंधी-तूफान और गरज-चमक के साथ मूसलाधार बारिश होने की संभावना जताई है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बिहार में गुरुवार को कहीं-कहीं काफी तेज बारिश हो सकती है. आईएमडी ने आंधी-तूफान के साथ ठनका गिरने की आशंका भी जताई है. वहीं, सूबे में कई प्रमुख नदियों के उफान पर होने से निचले इलाकों में बाढ़ की समस्या गहरा गई है. गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण पटना, मुंगेर, बेगूसराय जैसे जिलों के कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. खेतों में भी बाढ़ का पानी आने से फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है. बता दें कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन में औसत रूप से सामान्य बारिश नहीं हुई है. इससे कई इलाकों में सूखे जैसे हालात हैं.
मौसम विभाग की ओर से 1 सितंबर 2022 के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में बिहार में मूसलाधार बारिश होने की संभावना जताई गई है. बिहार में इस बार के बारिश के मौसम में औसत रूप से सामान्य बारिश न होने की वजह से खेतीबारी का काम बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. बरसात के मौसम में बिहार समेत पूरे पूर्वी भारत में धान की खेती व्यापक पैमाने पर की जाती है. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन इस बार सामान्य बारिश न होने की वजह से धान की रोपाई के रकबे में कमी दर्ज की गई है. खासकर प्रदेश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्से में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं. गौरतलब है कि मानसून के सक्रिय होने से पहले मौसम विभाग ने इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य रहने की उम्मीद जताई थी. हालांकि, अभी तक प्रदेश के अधिकांश जिलों में औसत से कम बारिश रिकॉर्ड की गई है.
बिहार में बाढ़
बिहार में इस बार के मानसून सीजन में भले ही सामान्य बारिश नहीं हुई है, लेकिन इसके बावजूद लोगों को बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. गंगा नदी के उफनाने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं. गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी से निचले इलाकों में बाढ़ का पानी पहले ही घुस गया था. अब अन्य इलाकों में भी गंगा नदी का पानी फैलने लगा है. इसके कारण लोगों को अपना सबकुछ छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ रहा है. बाढ़ से फसलों को भी व्यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. धान के साथ ही मक्के की फसल को हानि होने का अंदेशा काफी बढ़ गया है.