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कुछ साल पहले पर्ल्स ग्रुप’में डूबे पैसे को अब लौटाएगी कंपनी

जस्टिस आरएम लोढ़ा कमिटी ने PACL LTD की अचल संपत्तियों को बेचकर अब तक 878.20 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। इन पैसों से 60,000 कराेड़ रुपये के पोंजी स्कैम केस के पीड़ित निवेशकों का पैसा लौटाया जाना है। जिनसे ठगी के कंपनी पर आरोप लगे थे।

कमिटी की ओर से कहा गया है कि सीबीआई ने उन्हें पीजीएफ और पीएसीएल कंपनी के स्वामित्व वाले 42,950 प्रॉपर्टी के कागजात समेत रॉल्स रॉयस, पोर्श केयेन, बेंटली और बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज जैसी लग्जरी गाड़ियां भी सौंपीं थीं।

बता दें कि सरकार के आंकड़ों के अनुसार लोढ़ा कमिटी के पास अब तक  Pearl Agro Corporation Limited, PACL और उसकी सहयोगी कंपनियों में निवेश करने वाले 1.5 करोड़ निवेशकों के रिफंड क्लेम आ चुके हैं।

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PACL India Limited से पैसा Refund अब मिलेगा ! - PACL Latest News 2019निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 2016 में बनाई गई थी कमिटी

लोढ़ा कमिटी का गठन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने किया था। कमिटी ने पीएसीएल और उससे जुड़ी संस्थाओं की संपत्तियों को बेचकर 878.20 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए हैं। कुल वसूली में PACL की 113 संपत्तियों की नीलामी से मिले 86.20 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।

कमिटी ने जिन संपत्तियों से रिकवरी की कार्रवाई की है उनमें ऑस्ट्रेलिया स्थित पर्ल्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की कंपनियां भी शामिल हैं। उससे कंपनी ने 369.20 करोड़ रुपये की रिकवरी की है। ऑस्ट्रेलिया में कार्रवाई के लिए सेबी की ओर से वहां के फेडरल कोर्ट में क्लेम दाखिल किया गया था। वहां से मंजूरी मिलने के बाद रिकवरी की कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

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इसके अलावा 308.04 करोड़ रुपये सरकार ने PACL और उसकी सहयोगी कंपनियों के खातों को फ्रीज कर जुटाए थे। सरकार ने कंपनी के फिक्स्ड डिपोजिट से भी 98.45 करोड़ रुपये हासिल किए। कंपनी के 75 लग्जरी वहनों को बेचकर 15.62 करोड़ रुपये हासिल किए गए हैं। वहीं, कंपनी के संपत्ति से जुड़े छह दस्तावेजों से 69 लाख रुपये हासिल हुए हैं।PACL Scam: ED Files Chargesheet in the Rs49,100 crore Fraud

क्या है PACL स्कैम? 

पीएसीएल को पर्ल ग्रुप के नाम से भी जाना जाता था। कंपनी ने आम लोगों से खेती और रियल एस्टेट जैसे कारोबार के आधार पर लगभग 60,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनी ने यह निवेश 18 वर्षों के दौरान गैरकानूनी तरीके से हासिल किया था। जब लौटाने की बारी आई तो कंपनी पीछे हटने लगी। तब इस मामले में सेबी ने दखल दिया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। इस कंपनी के निवेशक लंबे समय से अपना पैसा वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं।

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