पटना। माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराने से लेकर फाइटर जेट की उड़ान तक तथा बॉलीवुड फिल्मों से लोग गीत तक; बिहार की महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। बिहार की श्रेयसी सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए स्वर्ण जीता तो भावना कंठ गणतंत्र दिवस के परेड में वायुसेनी की झांकी में शामिल पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। वायुसेना अधिकारी निरुपमा पांडेय बिहार की पहली एवरेस्ट विजेता बनीं। बॉलीवुड की बात करें तो दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा बिहार से हीं हैं। बिहार की शारदा सिन्हा की लोक गायकी के दीवाने सरहदों के पार भी कम नहीं हैं। देश की पहली महिला लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार भी बिहार से हीं हैं। आइए जानते हैं राज्य की मिसाल बनीं कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में, जो अपनी उपलब्धियों के बल पर दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं तथा जिन्होंने अपने हौसले के बल पर अपने रास्ते खुद बनाए हैं।
मीरा कुमार: देश की पहली महिला लोकसभा स्पीकर
देश के दिग्गज राजनेताओं में शुमार रहे बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च, 1945 को बिहार के सासाराम में हुआ था। दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ कालेज और मिरांडा हाउस से उच्च शिक्षा प्राप्त मीरा कुमार साल 1973 में भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुनी गईं। वे ब्रिटेन, स्पेन और मॉरीशस में उच्चायुक्त रहीं। राजनीति में उनका प्रवेश 80 के दशक में हुआ। साल 1985 में वे पहली बार बिजनौर से सांसद बनीं। उन्होंने लासेकसभा में बिहार के सासाराम का भी प्रतिनिधित्व किया। वे कांग्रेस की महासचिव व केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहीं। वे लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष (स्पीकर) रहीं। साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में वे विपक्ष की उम्मीदवार रहीं। हालांकि, वे पराजित हो गईं।
श्रेयसी सिंह: निशानेबाजी के साथ राजनीति में भी निशाना
बिहार के जमुई विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी की विधायक श्रेयसी सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज भी हैं। उनके पिता दिग्विजय सिंह केंद्रीय मंंत्री व सांसद थे। मां पुतुल कुमारी बांका लोकसभा के सांसद रह चुकीं हैं। श्रेयसी सिंह ने निशानेबाजी के साथ राजनीति में भी निशाना साधा है। साल 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में महिला डबल ट्रैप निशानेबाजी का स्वर्ण पदक जीतकर वे सुर्खियों में आईं थीं। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। भारत सरकार ने निशानेबाजी के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा है। श्रेयसी सिंह साइप्रस, पेरू और इटली में खेले जाने वाले आगामी तीन विश्व कप के लिए भारतीय राष्ट्रीय निशानेबाजी दल में शामिल रहेंगी।
सोनाक्षी सिन्हा: अपने दम पर बनाया बड़ा मुकाम
‘थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, प्यार से लगता है।’ बालीवुड फिल्म ‘दबंग’ में सोनाक्षी सिन्हा के इस संवाद में भविष्य की सुपर स्टार की संभावनाएं दिख गईं थीं। ऐसा हुआ भी है। आज बिहार के पटना की मूल निवासी दबंग गर्ल व बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा को किसी परिचय की जरूरत नहीं। बॉलीवुड स्टार पिता शत्रुघ्न सिन्हा की छाया से बाहर निकलकर उन्होंने अपने दम पर अपना मुकाम बनाया है। दो जून 1987 को जन्मीं सोनाक्षी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 2010 में आई सलमान खान की फिल्म ‘दबंग’ से की थी, लेकिन कम लोग हीं जानते हैं कि इसके पहले उनकी पहचान एक फैशन डिजाइनर के तौर पर होती थी। सोनाक्षी ने ‘राउडी राठौर’, ‘सन ऑफ सरदार’, ‘लुटेरे’, ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा’, ‘बॉस’ व ‘तेवर’ जैसी कई हिट फिल्मों में सराहनीय काम किया है। यह सिलसिला लगातार जारी है।
शारदा सिन्हा: लाेक गीतों से तोड़े सरहदों के बंधन
लोक गायन कर बात हो तो बिहार की शारदा सिन्हा याद आ जाती हैं। एक अक्टूबर 1952 को जन्मीं शारदा सिन्हा ने मैथिली, बज्जिका व भोजपुरी के अलावे हिन्दी में भी गीत गाए हैं। फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ तथा ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी फिल्मों में गाए उनके गीतों ने धूम मचा दी थी। पूजा हो या शादी, विभिन्न अवसरों के लिए उनके गाए लोकगीतों ने राज्य व देश की सरहदों के बंधन को तोड़ दिया है। खासकर उनके छठगीत तो बेहद लोकप्रिय हैं। लोकगीतों के लिए उन्हें ‘बिहार-कोकिला’, ‘पद्म श्री’ एवं ‘पद्म भूषण’ सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
निरुपमा पांडेय: एवरेस्ट फतह कर पूरा किया सपना
माउंट एवरेस्ट पर फतह करना किसी भी पर्वतारोही का सपना होता है। ऐसा ही सपना बिहार की एक बेटी ने देखा और उसे साकार किया। बिहार के सिवान जिले के जामो गांव में जन्मी वायुसेना अधिकारी निरुपमा पांडेय एवरेस्ट फतह करने वाली बिहार की अब तक की एकमात्र शख्सियत हैं। निरुपमा की इस उपलब्धि के साथ बिहार एवरेस्ट फतह करने वाला देश का 13वां राज्य बना
बिहार की बेटी के साहस को दुनिया ने किया सलाम: ट्रैकिंग निरुपमा का बचपन से हीं सपना था। इसी कारण उन्होंने कालेज में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) ज्वाइन किया था। पुणे में केंद्रीय विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वहीं के नेस वडिया कालेज आफ कामर्स से एमबीए की पढ़ाई पूरी की, साथियों की तरह किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी के बदले भारतीय वायुसेना में जाने का रास्ता चुना। निरुपमा ने एवरेस्ट फतह के लिए साल 2007 से नेहरू इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग में दाखिला लेकर ट्रैकिंग की ट्रेनिंग ली। प्रशिक्षण के चार साल की कड़ी मेहनत रंग लाई और आखिरकार 25 मई 2011 को वह दिन आ हीं गया, जब उन्होंने अपने सपने को साकार करते हुए एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा लहरा दिया। दैनिक जागरण से खास बातचीत में उन्होंने बताया था कि एवरेस्ट फतह के दौरान हिमस्खलन (एब्लांच) के दौरान वे बड़े हादसे से बचीं थीं। बिहार की बेटी के अदम्य साहस को पूरी दुनिया ने सलाम किया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निरुपमा को अति विशिष्ट खेल पुरस्कार से नवाजा।
भावना कंठ: देश की पहली महिला फाइटर पायलट
भारतीय नौसेना ने विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य सहित लगभग 15 अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर 28 महिला अधिकारियों को तैनात किया है। इसके पहले साल 2019 में सेना ने महिलाओं को सैन्य पुलिस में भी शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। अब वायुसेना में भी महिला फाइटर पायलट को स्थायी तौर पर शामिल किया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणतंत्र दिवस के परेड में वायुसेनी की झांकी में शामिल पहली महिला फाइटर पायलट कौन हैं? यह गौरव बिहार की भावना कंठ को मिला है। भावना के साथ भारतीय वायुसेना की मोहना जीतवाल व अवनी चतुर्वेदी भी देश की पहली महिला फाइटर पायलट हैं। बिहार के दरभंगा की रहने वाली भावना को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 2020 के महिला दिवस के अवसर पर ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया था। उन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद के दौरान भावना कंठ ने अपनी मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए कहा था कि ऐसे फैमिली बैंकग्राउंड में उन्हें फौज के बारे में बहुत जानकारी भी नहीं थी, लेकिन जीवन में कुछ करना है तो उड़ना ही बेस्ट आप्शन है।