देश में गिरती अर्थव्यवस्था को नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारत की इकोनामी को सुखद बता डाला आश्चर्य की बात तो यह है की गिरती अर्थव्यवस्था उन्हें मंदी का दौर नहीं दिखती बल्कि रिकवरी की रफ्तार दिखती है अब मानने को तैयार नहीं कि भारत मंदी की ओर है बल्कि सरकार की नुमाइंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है चालू वित्त वर्ष के सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए गए इन आंकड़ों में भी उन्हें मंदी नहीं दिखे उन्होंने उन आंकड़ों में ही जो गिरे हुए थे उसमें रिकवरी बताया लेकिन तकनीकी तौर पर इसे मंदी कहा जा रहा है हालांकि थिंक टैंक सरकार के नुमाइंदे हैं जो मंदी को रिकवरी मान रहे हैं
इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यह तकनीकी मंदी नहीं है. यह सामान्य परिस्थितियां नहीं हैं. ऐसे में तकनीकी मंदी के बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है. राजीव कुमार ने कहा कि हम संकट के दौर से बाहर आ रहे हैं. दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ अनुमान निगेटिव में 10 फीसदी तक था, जो 7.5 फीसदी रह गया है. उपभोक्ता मांग में भी ग्रोथ है, जो बहुत अच्छा संकेत है.
दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी यानी सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ निगेटिव में 7.5 फीसदी रही है. वित्त वर्ष की पहली यानी जून की तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 24 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है. लगातार दो तिमाही में निगेटिव ग्रोथ को तकनीकी तौर पर मंदी माना जाता है.
वहीं, कोर सेक्टर के उत्पादन में लगातार आठवें महीने गिरावट पर राजीव कुमार ने कहा कि लंबे समय तक संकुचन नहीं होगा. कोर सेक्टर में भी उर्वरक और बिजली पॉजिटिव ग्रोथ दिखा रहे हैं. बता दें कि कोर सेक्टर का उत्पादन इस बार अक्टूबर महीने में एक साल पहले की तुलना में 2.5 प्रतिशत घट गया. यह लगातार आठवां महीना है, जब इन क्षेत्रों का उत्पादन कम हुआ हो.
खपत में गिरावट पर राजीव कुमार ने कहा कि त्योहारों के कारण अक्टूबर एक बेहतर महीना था. मुझे यकीन है कि जनवरी-मार्च तिमाही में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिलेगी. आप पैसे ट्रांसफर करके खपत नहीं बढ़ा सकते. सरकार इस मुद्दे को उचित तरीके से हैंडल कर रही है.