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बिहारः जमीन विवाद में सब इंस्पेक्टर रहा प्रद्युम्न बन गया नक्सली, बहन के जख्मी होने पर खोया था आपा

जहानाबाद: भाकपा माओवादी के सीनियर एक्शन कमेटी के वरिष्ठ कमांडर प्रद्युम्न शर्मा उर्फ कुंदन उर्फ साकेत पूर्व लुल्हा के हुलासगंज थाना क्षेत्र के रुस्तमपुर घर पर शनिवार की सुबह एनआइए की टीम ने छापेमारी की। प्रद्युम्न शर्मा के अलावा उसके तीन करीबियों के यहां भी टीम छापेमारी की गई। हुलासगंज थाना क्षेत्र के ही मोकिनपुर निवासी पैक्स अध्यक्ष विकास शर्मा और केवला गांव निवासी राजीव शर्मा के यहां टीम ने एक साथ दबिश दी। मामला नक्सलियों को हथियार आपूर्ति करने से जुड़ा है। प्रद्युम्न शर्मा पर झारखंड और बिहार में 90 से अधिक मामले दर्ज हैं। उसकी गिरफ्तार के लिए झारखंड पुलिस ने 25 लाख और बिहार पुलिस ने 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। प्रद्युम्न शर्मा अभी झारखंड के हजारीबाग जेल में बंद है। उसे अगस्त 2021 में झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया था। प्रद्युम्न के अपराध की कहानी गांव के एक जमीन विवाद से शुरू हुई थी।

बीएसएफ में हुआ था बहाल, नौकरी छोड़कर बना नक्सली

ग्रामीणों के अनुसार प्रद्युम्न शर्मा पढ़ने-लिखने में काफी तेज था, उसने बीए तक पढ़ाई की थी। इसी बीच 1994 में बीएसएफ में उसकी नौकरी लग गई। वह सब इंस्पेक्टर के पद पर बहाल हुआ था। किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हजारीबाग में ट्रेनिंग के दौरान ही गांव के दबंग ज्वाला सिंह व लक्ष्मण सिंह से जमीन पर कब्जे को लेकर उसके परिवार का विवाद शुरू हो गया। गोलीबारी हो गई, जिमें प्रद्युम्न शर्मा की बहन जख्मी हो गई थी, जिसके बाद प्रद्युम्न शर्मा गांव पहुंचा और उस समय सक्रिय नक्सली संगठन संग्राम समिति में शामिल होकर लक्ष्मण सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह ना तो नौकरी पर लौटा और न ही कभी घर आया। बाद में वह नक्सली संगठन पीपल्स बार ग्रुप में शामिल हुआ। वर्ष 2004 में एमसीसी में इस संगठन का विलय हो गया, जो भाकपा माओवादी बना, जिसमें वह मगध क्षेत्र का अहम चेहरा बनकर उभरा। इलाके में आज भी लोग उसके नाम से थर्राते हैं।

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गंवा चुका है एक हाथ और आंख

जानकारी के मुताबिक साल 1997 में बम बनाने के दौरान प्रद्युम्न शर्मा एक हाथ उड़ गया था। एक आंख भी गंवा चुका है। वह कई बार पुलिस मुठभेड़ में बच चुका है। उसे कड़ी सुरक्षा के बीच रखा जाता था। हमेशा बाडीगार्ड से घिरा रहता था। अच्छी भाषा और पढ़ाई-लिखाई के कारण वह संगठन में युवाओं को जोड़ने में ज्यादा भूमिका निभाता था। भाकपा माओवादियों के शीर्ष नक्सली किशन, अरविंद से उसकी काफी नजदीकियां रही हैं।

वर्ष 2018 में ईडी ने की थी छापेमारी

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वर्ष 2018 में ईडी ने प्रद्युम्न शर्मा और उसके भाई प्रमोद शर्मा की 68 लाख रुपये की संपत्ति जब्त की थी। उसके विरुद्ध मनी लॉड्रिंग एक्ट में केस दर्ज किया गया था। दोनों ने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई बैंक खातों में पैसे भी जमा मिले थे। शहर में जमीन और मकान का भी पता चला था। बेटे-बेटी की पढ़ाई में लाखों रुपये खर्च करने की भी जानकारी मिली थी।

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