बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में करोड़ो रूपये के घोटाले का खेल सामने आया है,चुनाव को लोकतंत्र का महापर्व कहा जाता है. इस पर्व को संपन्न कराने में करोड़ों-अरबों खर्च होते हैं. लेकिन, भ्रष्ट अधिकारियों व ठेकेदारों की मिलीभगत से लोकतंत्र का यह पर्व लूट पर्व में बदल रहा है. इससे सम्बंधित खबर 21-22 जुलाई को प्रमुखता से सामने लाया था. मामला विधानसभा चुनाव 2020 से जुड़ा है. इस चुनाव में सिर्फ एक वेंडर का 10 में से करीब 7 करोड़ रुपया जिला प्रशासन ने यह कहते हुए काटा था कि उसने कई फर्जी बिल दिए, और जो समान दिया वो भी संख्या और गुणवत्ता मानक पर नहीं थे. जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा संबंधित वेंडर को अग्रिम भुगतान राशि में से भी करीब 15 लाख रुपये से अधिक की राशि तीन दिनों के भीतर जमा करने का आदेश दिया था. लेकिन, संबंधित वेंडर ने 21-22 जुलाई तक यह राशि जमा नहीं की. जिला प्रशासन के अधिकारी भी चुनाव में हुए खर्च सम्बंधित जानकारी देने से बचते रहे थे. लेकिन, खबर के बाद जब सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता ने इससे सम्बंधित सूचना मांगी तो उन्हें भी पूरी जानकारी नहीं दी गयी. हालांकि खबर के बाद दी गयी सूचना में इतना जरूर बताया गया कि संबंधित वेंडर विजय श्री प्रेस, सहरसा द्वारा 15, 37, 026 रुपये जमा करवा दिया गया है.
क्या था मामला?
मधेपुरा जिला के 4 विधानसभा में 2020 में चुनाव में फर्जी बिल के आधार पर सरकार और प्रशासन को करोड़ों का चूना लगाने का प्रयास सामने आया था. चुनाव सामग्री के क्रय और आपूर्ति में जम कर गड़बड़ी की गयी थी. 12 रुपये की मोमबत्ती 29 रुपये में खरीदी गयी तो 35 का झाड़ू 98 में सप्लाई किया गया था.
कई सामान तो ऐसे थे जिसके दाम से अधिक किराया दे दिया गया. इतना ही नहीं कई समान एमआरपी से अधिक पर सप्लाई किया गया था. इस घोटाले का उजागर निर्वाचन विभाग के पत्र ज्ञापक 298 दिनांक 13/4/21 और चुनाव सामग्री सप्लाय के लिए हुए टेंडर के रेट चार्ट के आधार पर किया था. जिला प्रशासन ने अपनी जांच में सप्लायर विजय श्री प्रेस के 9 विपत्र को फर्जी भी पाया था. पत्र के मुताबिक उसके द्वारा 103234100 का बिल समर्पित किया गया था. जब इसकी जांच करवाई गयी तो पता चला कि इसमें भी 36810592 रुपये का ही बिल ही बनता है, जबकि एजेंसी को पूर्व के डीएम ने ही 2 करोड़ 95 लाख एडवांस कर दिया था. ऐसे में जीएसटी आदि कटौती के बाद 1537026 रुपये एजेंसी को तीन दिनों के भीतर जमा करने का आदेश दिया गया था, लेकिन एजेंसी ने 22 जुलाई तक जमा नहीं किया था.
आरोप था कि चुनाव संबंधी सामग्री सप्लाई करने वाली एजेंसियों ने 10 से 15 करोड़ का फर्जीवाडा करने का प्रयास किया था. इसके लिए कई फर्जी बिल भी लगाए गए थे. जिस बिल के बारे में अधिकारी मीडिया में बताने से बचते रहे, खबर चलने के बाद जब पटना के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इसकी सूचना मांगी तो उन्हें भी इसकी पूरी जानकारी नहीं दी गई. आरटीआई कार्यकर्ता ने खबर के बाद दो आरटीआई मधेपुरा जिले में और कई अन्य जिलों में भी लगाया था. मधेपुरा जिला निर्वाचन कार्यालय से उन्हें 22 सितम्बर को ई मेल पर सूचना दी गई जिसमें बताया गया कि मेसर्स विजय श्री प्रेस द्वारा 1537026 रूपया जमा करा दिया गया है. लेकिन देर होने पर उसके विरुद्ध हुई कार्रवाई के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं दी गयी. ऐसे में अपील में जाने की भी बात कही.