मुखपत्र सामना के जरिये शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की सरकार ने बेरोजगारों के‘हाथ में घंटा’ देने का आरोप लगाया है. लेख के जरिए पार्टी ने सरकार के लगातार किए जा रहे निजीकरण से जुड़े फैसलों पर भी सवाल उठाया है. शिवसेना ने कहा है कि देश की संपत्ति को ‘किराय’ पर देकर सरकार की मजा करने की योजना है. साथ ही केंद्र के नोटबंदी के फैसले को भी गैर-जिम्मेदाराना बताया है.
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सामना में प्रकाशित संपादकीय के अनुसार, ‘अगस्त महीने में 16 लाख लोगों की नौकरी चली गई है. ग्रामीण भागों में बेरोजगारी ने कहर बरपाया है. शहरों की भी स्थिति अलग नहीं है. लोगों को, युवाओं के हाथों में काम चाहिए और भारतीय जनता पार्टी ने बेरोजगारों के हाथों में घंटा दिया है.’ इस दौरान शिवसेना ने दावा किया है कि 16 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने का यह आंकड़ा ताजा है.
पार्टी ने नोटबंदी को अर्थव्यवस्था पर संकट बताया और इसके तार भी बेरोजगारी से जोड़े हैं. लेख के मुताबिक, ‘मोदी सरकार ने जो गैर जिम्मेदार तरीके से नोटबंदी देश पर थोपी, उस नोटबंदी से ढही अर्थव्यवस्था के नीचे दो-एक करोड़ रोजगार कुचल गए. नोटबंदी ये अर्थव्यवस्था पर भयंकर संकट था और उससे २ करोड़ से अधिक लोगों ने हमेशा के लिए अपनी नौकरी गवां दी.’ उन्होंने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान बढ़ी बेरोजगारी पर सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए.
शिवसेना ने लिखा कि नोटबंदी के बाद ‘कोरोना व लॉकडाउन आया. इस काल में भी उतने ही लोगों ने रोजगार गंवाया. व्यापार, उद्योग-व्यवसाय को ताले लग गए. लेकिन जिन्होंने इस काल में रोजगार गंवाया, जो बेकार हो गए उनका क्या इंतजाम किया? मोदी सरकार को ७ वर्ष हुए. इस काल में देश में नया निवेश कितना हुआ, कितने विदेशी निवेश आए, उससे अर्थव्यवस्था को कितनी मजबूती मिली, कितने नए रोजगार सृजित हुए. इसकी जानकारी सरकार ने कभी भी नहीं दी.’