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सरकार कर रही है पुराने भट्टों को बंद करने की तैयारी ,प्रदूषण नियंत्रण के लिए अब लगेंगे पीएनजी से चलेंगे ईंट-भट्टे

प्रदूषण नियंत्रण को लेकर अब दिल्ली सरकार कमर कश चुकी है सरकार अब पुराने ईंट-भट्टे को बंद कर पीएनजी से ईंट-भट्टे को चलने की तैयारी में है,दिल्‍ली-एनसीआर  सहित उत्‍तर प्रदेश में अब कोयला से चलने वाले ईंट-भट्टों के बजाय पीएनजी यानी पाइप्‍ड नेचुरल गैस से चलने वाले ईंट भट्टे लगाने के सुझाव दिए गए हैं. हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुआई वाली पीठ की ओर से कहा गया कि ईंट भट्ठा उद्योगों का दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा में सर्दियों और गर्मियों के दौरान पीएम-10 उत्सर्जन में लगभग 5 से 7 फीसदी का योगदान रहता है. लिहाजा प्रदूषण फैलाने वाले ईंट भट्टों की जगह अब पीएनजी से चलाए जाने वाले नए भट्टे लगाए जाएं.Punjab govt orders closure of brick kilns causing pollution | Pakistan Today

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्‍तर प्रदेश सरकार को दिए गए निर्देशों के संबंध में सीपीसीबी के वरिष्‍ठ पदाधिकारी ने बताया कि एनजीटी काफी पहले से देश के अलग-अलग हिस्‍सों में चल रहे अवैध ईंट-भट्टों को लेकर सख्‍त रहा है. पिछले साल भी प्रदूषण फैलाने वाले अवैध ईंट-भट्टों को बंद करने के निर्देश दिए गए थे. साथ ही बाकी भट्टों पर निगरानी रखने के साथ ही समय-समय पर उनकी जांच करने के लिए भी कहा था.

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सीपीसीबी (CPCB) अधिकारी ने बताया कि अब देश में और खासतौर पर दिल्‍ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में अगर नए भट्टे लगेंगे तो यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ये सभी पीएनजी के ही भट्टे होंगे. हालांकि अभी तक कोयला आधारित ईंट-भट्टे और पीएनजी आधारित ईंट-भट्टे को स्‍थापित करने में आने वाले खर्च के अंतर का आकलन नहीं किया गया है. अभी यह शुरुआती स्‍तर पर है. फिलहाल इसके लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने पर जोर दिया जा रहा है.To cut brick kiln pollution, Bangladesh constructs new building materials |  Dhaka Tribune

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यूपी सरकार को लिखी गई चिठ्ठीइन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर की जरूरत
सीपीसीबी के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि एनजीटी की ओर से सीपीसीबी के अलावा यूपी सरकार को भी पीएनजी से चलने वाले भट्टों को लेकर चिठ्ठी भेजी गई है. सीपीसीबी प्रदूषण नियंत्रण की प्रमुख और केंद्रीय एजेंसी है ऐसे में सीपीसीबी की निगरानी में नई तरह के ईंट-भट्टे लगेंगे. चूंकि पीएनजी पाइपलाइन बेस्‍ड ईंधन है, जिसके लिए काफी बड़े स्‍तर पर इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर की जरूरत होती है. इसके साथ ही यह भी जानना जरूरी है कि पीएनजी की सप्‍लाई किन-किन इलाकों में है और क्‍या वहां पर नए ईंट-भट्टे खोले जा सकते हैं या नहीं. लिहाजा यूपी सरकार से पूछा गया है कि नई तकनीक के भट्टों के लिए क्‍या-क्‍या सुविधाएं हैं. अगर नहीं हैं तो फेज बनाकर किस तरह इसे विकसित किया जा सकता है.

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अभी तक कर्नाट‍क में है पीएनजी से चलने वाला एक भट्टा
सीपीसीबी के मुताबिक भारत में अभी तक सिर्फ कर्नाटक राज्‍य में एकमात्र भट्टा लगाया गया है जो पाइप्‍ड नेचुरल गैस से चलता है. इसके अलावा बाकी जगहों पर लगे सभी भट्टे पुराने ढर्रे पर हैं. हालांकि बीच में आई गाइडलाइंस के बाद अधिकांश ईंट-भट्टों को जिग जैग तकनीक से चलाने के लिए निर्देश दिए गए थे और बहुत सारे भट्टे इससे भी चल रहे थे लेकिन कई रिपोर्ट में यह पाया गया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में जिग-जैग तकनीक भी कारगर नहीं है. ऐसे में पूरी तरह साफ ईंधन के भट्टे लगाने के सुझाव दिए गए हैं.

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सामान्‍य भट्टे से प्रदूषण होता है बहुत ज्‍यादा
अभी तक देश में ईंट पकाने के लिए लगाए जा रहे भट्टों से बहुत ज्‍यादा प्रदूषण होता है. इनमें ईंधन के रूप में फॉसिल फ्यूल यानी कि कोयला जलाया जाता है. जिसके जलने से कई जहरीली गैसें भी बाहर निकलती हैं. वहीं एनजीटी और सीपीसीबी के मुताबिक पीएनजी साफ ईंधन है. इससे प्रदूषण न के बराबर होता है. यही वजह है कि अब पीएनजी भट्टों को लेकर निर्देश दिए गए हैं. ताकि एनसीआर और आसपास की हवा को शुद्ध रखा जा सके.

Brick Kilns: A case for promoting rural industries in the future

ईंट-भट्टों पर पर्यावरण की अनदेखी का आरोप
एनजीटी में दायर की गई एक याचिका में कहा गया था कि यूपी के बागपत में करीब 600 ईंट भट्ठों का संचालन पर्यावरण हितों और कानून की अनदेखी कर किया जा रहा है. इसके साथ ही मथुरा में चल रहे करीब 500 ईंट-भट्टों में से आधे से ज्‍यादा के अवैध होने की बात कही गई थी. हालांकि एनजीटी ने 12 अगस्‍त के आदेश में मथुरा के लिए नई कमेटी बना दी है जो अब मथुरा में चल रहे ईंट-भट्टों और यहां की आबोहवा को लेकर अपनी रिपोर्ट एनजीटी को देगी. इसके अलावा यूपी के गाजियाबाद, मेरठ, गौतमबुद्धनगर, हापुर, मुजफ्फरनगर सहित सात जिलों के अलावा हरियाणा और राजस्थान अलवर और भरतपुर में भी भट्टों के द्वारा प्रदूषण फैलाने की बात कही गई थी.Brick kiln workers II | Adithya Anand | Flickr

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