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पंजाब में अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी मिलकर लड़ेंगे अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव

पंजाब में होने वाला विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे,काफी वक्त से चल रही बातचीत के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन की आधिकारिक घोषणा हो गई. दोनों दलों के बीच हुई डील के तहत BSP राज्य की 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ओर बहुजन समाज पार्टी के महासचिव सतीश मिश्रा की उपस्थिति में शनिवार को गठबंधन का ऐलान हुआ. दोनों पार्टियों के कई बड़े नेता और काफी संख्या में कार्यकर्ता भी इस मौके पर मौजूद रहे. इस दौरान सुखबीर बादल ने बसपा सुप्रीमो मायावती को धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों की सोच सामान है. दोनों पार्टियां गरीब किसान मजदूर के हक के लिए लड़ती हैं.’ सुखबीर बादल ने इसके साथ ही कहा, ‘आज का दिन पंजाब की सियासत में नया दिन हैढाई दशक बाद फिर साथ आए अकाली दल और BSP, रंग लाएगी सांझेदारी - Dainik Savera.

बता दें कि पंजाब की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची है. ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चौतरफा घिर गए हैं. एक तरफ पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है तो दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल (SAD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच गठबंधन से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.Big Political alliance in punjab and SAD and BSP came together

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दलितों पर खास नजर
इस साल अप्रैल में शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने ऐलान किया था कि अगर उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में जीतकर सरकार बनाती है तो डिप्टी सीएम दलित समुदाय से होगा. इसी दौरान उन्होंने दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावनाओं के भी संकेत दिए थे और कहा था कि उनके संपर्क में कई पार्टियां हैं. बता दें कि किसान आंदोलन के चलते अकाली दल  ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया थाAkali Dal, BSP alliance punjab assembly election 2022 sukhbir singh badal  mayawati latest updates | India News – India TV.पंजाब में दलित फैक्टर

आंकड़ों के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा दलित पंजाब में ही रहते हैं. यहां 32 फीसदी आबादी दलितों की है. दलित वोट आमतौर पर कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के बीच बंटता रहा है. पंजाब में बीएसपी ने इसमें सेंध लगाने की कई बार कोशिश की है. लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली है. साल 2017 के चुनाव में दलित के कुछ वोट आम आदमी पार्टी के हिस्से में आए थे. ऐसे में अब सभी पार्टियाों की नजर दलित वोटरों पर है.

 

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