बिहार में पंचायत चुनाव के कशमकश के बीच नीतीश कुमार ने सीधे ऐलान करते हुए कहा है कि बिहार में अभी पंचायत चुनाव नहीं होंगे और जनप्रतिनिधियों के हवाले अब तक हो रहे पंचायतों के कामकाज को 15 जून के बाद अफसरों के हवाले कर दिया जाएगा ऐसे में सभी पावर अब जनप्रतिनिधियों से छीन ले जाएंगे, वार्ड से लेकर ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद तक योजनाएं की बनाने और मंजूर करने का अधिकार प्रखंड से लेकर जिलों के अफसर को देने की तैयारी सरकार कर रही है विकास योजनाओं की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति का अधिकार अब बीडीओ, डीडीसी और डीएम को सौंपने का मसौदा पंचायती राज विभाग लगभग तैयार कर चुका है. नीतीश कैबिनेट की स्वीकृति मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा. दरअसल पंचायत चुनाव पर विचार करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने 21 अप्रैल को 15 दिनों का समय लिया था. आयोग को इस बात की उम्मीद नजर आ रही थी कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार तब तक काफी कम हो जाएगी, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद कोरोना की रफ्तार कम तो नहीं हुई बल्कि संक्रमण का दायरा लगातार बढ़ता ही गया, ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि जून के पहले सप्ताह में मानसून का प्रवेश के कारण आयोग के लिए चुनाव करना संभव नहीं हो पायेगा.
2006 मेें पंचायती राज अधिनियम बनाने के दौरान विशेषज्ञों को तो इस बात का अहसास भी नहीं था कि कभी चुनाव टालने की नौबत भी जाएगी, ऐसे में पंचायती राज संस्थाओं के अधिकार दिए जाने के बारे में अधिनियम में कोई जिक्र ही नहीं है, लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए सरकार द्वारा अध्यादेश लाने पर विचार किया जा रहा है. वैसे विचार इस पर भी किया जा सकता है कि पंचायती संस्थाओं के कार्यकाल का ही विस्तार कर दिया जाए. चुनाव को लेकर पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी की मानें तो चुनाव कब होंगे, इसका फैसला आयोग करेगा. राज्य सरकार फंड और अन्य इंतजाम करती है. सरकार वह काम पहले ही कर चुकी है लेकिन आज की तारीख में चुनाव कराना संभव नहीं लग रहा है, ऐसे में देखना होगा कि चुनाव आयोग और सरकार का इस मामले पर अब अंतिम रुख क्या होता है.