RLSP का JDU में विलय हो गया है। इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को जेडीयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की है। पटना स्थित जेडीयू के प्रदेश मुख्यालय में रविवार को आयोजित एक समारोह के दौरान RLSP का जेडीयू में विलय पर खुशी जाहिर करते हुए नीतीश कुमार ने कुशवाहा को तत्काल प्रभाव से जेडीयू के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा की। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने कुशवाहा को गुलदस्ता भेंट करके उनका जेडीयू में स्वागत किया। सीएम नीतीश के इस फैसले के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा के राज्यसभा भेजे जानें की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
शरद यादव वाली सीट पर राज्यसभा जा सकते हैं कुशवाहा
वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव को जेडीयू से बर्खास्त कर दिया गया है। जेडीयू का कहना है कि इस बर्खास्तगी के साथ ही शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता समाप्त हो जाती है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। शरद यादव ने राज्यसभा की सीट से अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। इसपर जल्द ही फैसला आने वाला है। माना जा रहा है कि राज्यसभा की इसी सीट पर उपेंद्र कुशवाहा को बिठाया जा सकता है।
नीतीश कुमार राज्य की राजनीति में हैं। ऐसे में पार्टी की ओर से केंद्र की राजनीति में किसी चर्चित चेहरे की कमी है। हरिवंश के राज्यसभा के उपसभापति बनने के बाद से संसद में पार्टी का पक्ष मजबूती से रखने वाले चहरे की दरकार काफी समय से महशूस की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि उपेंद्र कुशवाहा इस कमी को पूरा कर सकते हैं।
BJP के सामने कमजोर नहीं दिखना चाहते हैं नीतीश
सूत्रों का कहना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के तीसरे नंबर की पार्टी बनने से नीतीश कुमार चिंतित हैं। फिलहाल बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से नीतीश कुमार अपनी पार्टी के नेताओं के साथ मजबूती से सरकार में भागीदार हैं। लेकिन बीजेपी का राज्य नेतृत्व तीसरे नंबर की पार्टी को इतनी तवज्जो देने से खुश नहीं है। भविष्य में बीजेपी क्या कदम उठाएगी उसी को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार चुनाव बाद से लगातार संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं।इसी वजह से चुनाव बाद नीतीश कुमार ने उमेश कुशवाहा को प्रदेश अध्यक्ष और आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया है। इस फैसले के जरिए नीतीश कुमार ने कुर्मी+कोइरी वोटरों को एकजुट होने का संदेश देने की कोशिश की है। दोनों जातियों को मिलाकर बिहार में करीब 11 फीसदी से ज्यादा वोटर होते हैं जो पूरी तरह से निर्णायक होते हैं। इसी को ध्यान में रखकर नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी में लेने के साथ ही जेडीयू राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है।कुशवाहा की पत्नी बन सकती हैं मंत्री
बिहार के राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू में आने के एवज में उनकी पत्नी स्नेहलता को विधान परिषद में भेजा जा सकता है। इसके बाद नीतीश कुमार उन्हें अपने मंत्रिमंडल में भी शामिल कर सकते हैं। हालांकि इस संदर्भ में जब उपेंद्र कुशवाहा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं लिखकर दे सकता हूं कि ऐसी कोई डील नहीं हुई है।
पूर्व में नीतीश कुमार के दल समता पार्टी और बाद में जेडीयू में रहे उपेंद्र कुशवाहा को 2004 में पहली बार विधायक बनकर आने के बावजूद कुमार ने कई वरिष्ठ विधायकों की अनदेखी करके कुर्मी और कुशवाहा जातियों के साथ एक शक्तिशाली राजनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाया था।
2013 में जेडीयू के राज्यसभा सदस्य रहे कुशवाहा ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए जेडीयू ने नाता तोड़कर RLSP नामक नई पार्टी का गठन कर लिया था। वह 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत एनडीए का हिस्सा बन गये थे और उस चुनाव के बाद कुशवाहा को नरेंद्र मोदी सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री बनाया था।
जुलाई 2017 में जेडीयू की एनडीए में वापसी ने समीकरणों को एक बार फिर बदल दिया और RLSP इस गठबंधन ने नाता तोड़कर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बन गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुशवाहा ने काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीटों से चुनाव लड़स था लेकिन वह हार गए थे।2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कुशवाहा ने महागठबंधन से नाता तोड़कर मायावती की बसपा और एआईएमआईएम के साथ नया गठबंधन बनाकर यह चुनाव लड़ा था। बिहार विधानसभा चुनाव में RLSP प्रमुख कुशवाहा को उनके गठबंधन द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया था लेकिन इनके गठबंधन में शामिल हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में जहां पांच सीट जीती थी, वहीं RLSP एक भी सीट नहीं जीत पायी थी।