दिल्ली हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा, टीका विदेश में दान दिया जा रहा है, दूसरों देशों में बिक्री भी हो रही मगर अपने लोगों को पूरी क्षमता से टीका नहीं लगाया जा रहा।कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर नौ मार्च तक हलफनामा देकर टीकाकरण अभियान में वर्गीकरण के पीछे का तर्क समझाने का निर्देश दिया। साथ ही टीका बनाने वाली कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक को अलग हलफनामा दाखिल कर उनकी टीका निर्माण क्षमता बताने को भी कहा है। कोर्ट 10 मार्च को इस मामले में सुनवाई करेगा।
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पाली की पीठ ने कहा, सीरम इंस्टीट्यूट व भारत बायोटेक अधिक मात्रा में टीका बना सकते हैं लेकिन जान पड़ता है कि ऐसा हो नहीं रहा। हम क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रहे। पीठ ने कहा, हम दूसरे देशों को टीका बेच रहे हैं और अपने लोगों को पूरी क्षमता से टीका नहीं लगा रहे। दरअसल, टीकाकरण के दूसरे चरण में सरकार ने 60 वर्ष से ऊपर सभी बुजुर्गों व 45 से अधिक उम्र के कुछ खास बीमारियों से पीड़ित लोगों के टीकाकरण में शामिल होने की मंजूरी दी है। पीठ ने कहा, देश में कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं, ऐसे में टीकाकरण को नियंत्रित करने की क्या वजह है।
जिम्मेदारी और तत्काल जरूरत का बोध होना जरूरी है। इस पर केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और वकील अनिल सोनी ने कोर्ट को बताया कि टीकाकरण के लिए लोगों का वर्गीकरण नीतिगत फैसला है जो विशेषज्ञों से राय मशविरा करने के बाद लिया गया है। शर्मा ने कहा, ऐसी ही एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। इस पर पीठ ने कहा, हम यहां इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं कि क्या न्यायिक तंत्र के सभी लोगों को बिना आयु या बीमारी के दायरे में रखते हुए टीका लगाया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वत: संज्ञान लेते हुए बार काउंसिल की इस जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की थी जिसमें जजों, कोर्ट कर्मचारियों और वकीलों समेत न्यायिक कार्यप्रणाली से जुड़े सभी लोगों को अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी घोषित करने की मांग की गई, ताकि उन्हें बिना किसी आयु व शारीरिक स्थिति की सीमा के कोरोना का टीका लगवाने में प्राथमिकता मिले। पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और बीसीडी से उनके पंजीकृत सदस्यों की संख्या बताने को कहा है, ताकि अंदाजा लग सके कि दिल्ली की न्यायिक सेवाओं के अंतर्गत कितने लोगों को टीका लगना है।
पीठ ने दोनों संस्थाओं को भी हलफनामा देकर नौ मार्च तक यह बताने को कहा है कि वह एक दिन, सप्ताह और महीने में कोवाक्सिन और कोविशील्ड टीके का कितनी मात्रा में निर्माण करने में सक्षम हैं। साथ ही यह भी बताना होगा कि फिलहाल टीके की कितनी खुराक इस्तेमाल हो रही और कितनी खुराक अभी उनके पास बचीं हैं।
कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार से हलफनामा दाखिल कर मौजूदा आपूर्ति शृंखला के हिसाब से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में टीकों के परिवहन की क्षमता का खुलासा करने को कहा है। केंद्र को यह भी बताना होगा कि इनेमें से कितने टीकों का इस्तेमाल हो जाता है।
कोर्ट परिसर में टीकाकरण केंद्र लगाने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश
पीठ ने साथ ही दिल्ली सरकार से कोर्ट परिसरों में उपलब्ध चिकित्सा व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर टीकाकरण केंद्र स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट में बताने को कहा कि क्या कोर्ट परिसर में टीकाकरण केंद्र खोला जा सकता है और चिकित्सा व्यवस्थाओं में क्या सुधार किए जाने की जरूरत है।
पीठ ने कहा, जिस तरह कोरोना के मामले फिर बढ़ने लगे हैं, यह वक्त की जरूरत है कि अधिक से अधिक लोगों को जल्द से जल्द टीका लगाया जाए और लोगों की जिंदगी बचाई जाए। ऐसे में वर्गीकरण का तर्क समझ नहीं आता। पीठ ने उदाहरण दिया कि अभी सरकार ने जिन बीमारियों की शर्त रखी है वे बेहद गंभीर बीमारियां हैं। जरूरी नहीं है कि जजों, कोर्ट कर्मचारियों और वकीलों को ये बीमारियां हों ही, लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है कि इन लोगों को कोरोना का खतरा नहीं है।
बीते 34 दिनों में बृहस्पतिवार को पहली बार सबसे ज्यादा एक दिन में 17 हजार से अधिक नए कोरोना मरीज मिले हैं। इनमें 86 फीसदी मरीज सिर्फ छह राज्यों में हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बृहस्पतिवार को देश में 17,407 नए संक्रमित मिले। वहीं बुधवार को 89 मरीजों की कोरोना से मौत हुई। 14,031 मरीजों को डिस्चार्ज भी किया। इससे पहले 28 जनवरी को एक दिन में 18 हजार मरीज मिले थे उसके बाद से इनकी संख्या लगातार कम दर्ज हुई थी।