टाइगर जिंदा है जैसे शानदार फिल्मों के डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने जब वेब सीरीज तांडव लांच की तो लोगों ने नाम से ही उसका अंदाजा लगाना शुरू कर दिया, हालांकि तांडव शब्द ही बड़ी उठापटक और भयानक सी बातों को दिखाता है, दरअसल अमेज़न प्राइम वीडियो की वेब सीरीज तांडव राजनीति के खेल को दिखाने की भरपूर कोशिश की गई है , जिसमें राजनीति का एक रौद्र रूप दिखता है, लेकिन वेब सीरीज देखने के बाद इसी बात का एहसास होता है कि यह राजनीति का तांडव नहीं बल्कि राजीति का एक साधारण नाच है, जिसे किसी नाम में बांध पाना मुश्किल है. इस सीरीज से ‘टाइगर जिंदा है’ जैसी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने डिजिटल दुनिया में कदम रखा है. लेकिन कहानी में गहराई न होने की वजह से वह दिलों के तार को छू पाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं.
‘तांडव’ की शुरुआत राजनीति के खेल से ही होती है. तिग्मांशू धूलिया बड़े नेता है. उनकी पार्टी तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने वाली है. लेकिन नतीजों से पहले ही उनकी मौत हो जाती है. सैफ अली खान उनके बेटे हैं, और पिता की मौत के बाद उन्हें लगता है कि वह पीएम बनने जा रहे हैं. लेकिन गेम पलट जाता है और बाजी किसी और के हाथ लग जाती है. इस तरह राजनीति का खेल शुरू होता है, जिसमें सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और जीशान अय्यूब जैसे एक्टर सामने आते हैं. लेकिन ‘तांडव’ की कहानी धीमी रफ्तार से चलती है और पांचवें एपिसोड के बाद रफ्तार पकड़ती है. लेकिन सीरीज से बहुत बड़ी उम्मीद करना बेमानी हो सकता है क्योंकि कहानी में गहराई नहीं है.
‘तांडव में एक्टिंग की बात करें तो डिम्पल कपाड़िया ने शानदार एक्टिंग की है, और उनका डिजिटल डेब्यू सफल रहा है, वह पूरी वेब सीरीज में एक्टिंग के मामले में सबसे अलग नजर आती हैं और अपने पात्र को शानदार ढंग से परदे पर जिंदा किया है. सैफ अली खान ने भी अच्छी एक्टिंग की है, लेकिन सीरीज के आखिरी तीन एपिसोड में वह अपने असली रंग में आते हैं, और असर डालते हैं. जबकि सीरीज के अन्य कलाकारों जीशान अय्यूब, गौहर खान और सुनील ग्रोवर इत्यादि की एक्टिंग अच्छी है. ‘तांडव’ सीरीज को राजनीति का उथला गेम देखने के लिए देखा जा सकता है, लेकिन ज्यादा गहराई की उम्मीद कतई न करें.