कोरोना काल में बने प्रधानमंत्री द्वारा पीएम केयर्स फंड के अब पारदर्शिता पर सवाल उठना शुरू हो गया है ,क्योंकि पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार के दायरे से बाहर किया गया है ,जिस पर किसी भी तरह का कोई भी सवाल जवाब लागू नहीं होता है ,लेकिन इसके पारदर्शिता पर सवाल अब उठना शुरू हो गया है दरअसल 100 पूर्व नौकरशाहों के समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक जवाबदेही के मानकों का पालन करने के मद्देनजर प्राप्तियों व खर्चों का ब्योरा उपलब्ध कराया जाना जरूरी है ताकि किसी भी अनियमितता की संभावना को खारिज किया जा सके।
पूर्व अधिकारियों ने पत्र में लिखा, हम पीएम-केयर्स या आपात स्थिति में नागरिक सहायता और राहत को लेकर जारी बहस पर करीब से नजर रख रहे हैं। यह फंड कोरोना महामारी से प्रभावित लोगों की मदद के लिए बनाया गया था। जिस उद्देश्य से फंड बनाया गया और जिस तरह इसे संचालित किया गया है, दोनों को लेकर कई सवालों का जवाब अब तक नहीं दिया गया है।
ऐसे में यह आवश्यक है कि पीएम केयर्स फंड से जुड़े समस्त लेनदेन में पूरी तरह से पारदर्शिता सुनिश्चित कर प्रधानमंत्री के पद और दर्जे को बरकरार रखा जाए। इस पत्र पर पूर्व आईएएस अधिकारी अनीता अग्निहोत्री, एसपी एंब्रोसे, शरद बेहर, सज्जाद हसन, हर्ष मंदर, पी जॉय ओमेन, अरुणा रॉय, पूर्व राजनयिक मधु भदुड़ी, केपी फाबियान, देब मुखर्जी, सुजाता सिंह और पूर्व आईपीएस अधिकारी एएस दुलत, पीजीजे नंबूदरी और जूलियो रिबेरो व अन्य ने हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्र सरकार ने पिछले साल मार्च में पीएम केयर्स फंड स्थापित किया था, जिसका उद्देश्य कोविड-19 और किसी आपात स्थिति से निपटना व प्रभावित को राहत प्रदान करना था।