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China की बढ़ती दादागिरी को देख US ने बनाया ये बड़ा प्लान जाने…

चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ अमेरिका ने फुलप्रूफ प्लान तैयार कर लिया है. प्रशांत महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और बीजिंग को पीछे धकेलने के लिए अमेरिका 2.2 बिलियन डॉलर का पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव स्थापित करने जा रहा है. अमेरिका के इस कदम से न केवल इंडो- पैसिफिक क्षेत्र में उसकी क्षमता बढ़ेगी. बल्कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के साथ उसका सहयोग भी मजबूत होगा.

वित्त वर्ष 2021 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम पर बाइपार्टिज़न कांग्रेशनल कॉन्फ्रेंस की रिपोर्ट में पैसिफिक डिटरेंस इनिशिएटिव की स्थापना के लिए 2.2 बिलियन डॉलर के बजट की बात कही गई है. अमेरिकी सांसदों का कहना है कि PDI से चीन  और सभी संभावित विरोधियों को यह स्पष्ट संदेश मिलेगा अमेरिका उनकी हर हरकत का माकूल जवाब दे सकता है. इसके साथ ही सहयोगियों के साथ रिश्ते भी मजबूत होंगे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि PDI का उद्देश्य इंडो- पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त बलों की तैनाती के डिजाइन को मजबूत बनाना और संयुक्त अभ्यास जैसी गतिविधियों पर जोर देना है, ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना किया जा सके. सीधे शब्दों में कहें तो इसका मकसद चीन को किनारे लगाने के लिए अमेरिकी सहयोगियों को एकजुट करना है.PDI बिल में इंडो- पैसिफिक क्षेत्र में सेना की मल्टी-डोमेन टास्क फोर्स की तैनाती, संयुक्त कार्य बल इंडो-पैसिफिक, आतंकवाद-रोधी सूचना केंद्र, जॉइंट इंटरएजेंसी टास्क फोर्स के गठन आदि का प्रावधान किया गया है. बाइपार्टिज़न कांग्रेशनल कांफ्रेंस कमिटी ने पिछले हफ्ते बिल पर गंभीरता से चर्चा की है और जल्द ही इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भेजा जा सकता है.

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PDI की स्थापना के अलावा रिपोर्ट में चीन के कथित दुर्भावनापूर्ण व्यवहार को रोकने, रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के लिए अमेरिका को तैयार करने, अमेरिकी संपत्तियों की चीनी घुसपैठ से रक्षा करने जैसे कई प्रावधानों की बात भी कही गई है. मुख्य तौर पर रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ऐसा तंत्र बनाना होगा, जो डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस के कर्मचारियों या पूर्व कर्मचारियों को उन कंपनियों के लिए सीधे काम करने से रोके जो किसी न किसी तरह से चीन से जुड़ी हुई हैं. इसी तरह, विश्वविद्यालयों को रक्षा-वित्त पोषित अनुसंधान के बारे में जानकारी साझा करने के लिए बाध्य करे, कन्फ्यूशियस संस्थानों वाले विश्वविद्यालयों के लिए फंडिंग सीमित करे और संघीय अनुदान प्राप्तकर्ताओं के लिए एक्सटर्नल फंडिंग के बारे में जानकारी देना अनिवार्य करे.

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