कृषि कानून पर अब एनडीए के घटक दल भी खुलकर बगावत करने को तैयार हैं जहां सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन करने को विवश हुए वहीं कृषि कानूनों पर सरकार के साथ उनके घटक दलों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है राष्ट्रीय जनता जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने पत्र लिखकर अमित शाह से किसानों से बात करने की अपील की गौरतलब है कि उन्होंने किसानों की मांगों पर केंद्र से विचार करने की मांग की है और कहा कि यदि अगर काले कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वे एनडीए को अपना सपोर्ट जारी रखने के बारे में विचार करेंगे.
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने कहा, ‘मैंने केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध किया है और अमित शाह को एक पत्र लिखा है कि अगर काले कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो हम एनडीए को अपना समर्थन जारी रखने के बारे में सोचेंगे.’
वहीं हरियाणा में दादरी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया है. सोमबीर सांगवान ने राज्य पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने का बाद यह ऐलान किया. आरएलपी के संयोजक व राजस्थान के नागौर लोकसभा क्षेत्र से हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को इस बारे में केंद्रीय अमित शाह को संबोधित कर ट्वीट किया. इसमें उन्होंने लिखा है,‘‘अमित शाह जी, देश में चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाए गए तीन विधेयकों को तत्काल वापस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें
बेनीवाल ने आगे लिखा, ‘‘चूंकि आएलपी, राजग का घटक दल है परन्तु आरएलपी की ताकत किसान व जवान है, इसलिए अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो मुझे किसान हित में राजग का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा.’
बता दें कि किसान आंदोलन के चलते सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पूरी तरह बंद है. गाजियाबाद बॉर्डर पर भी भारी संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं. सिंधु बॉर्डर पर किसानों की तादाद दो से तीन हजार है. टिकरी बॉर्डर पर पंद्रह सौ किसान जमे हुए हैं जबकि दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर इनकी संख्या तकरीबन 1000 है. किसानों की संख्या घटती बढ़ती रहती है.
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