किसान आंदोलन के उग्र होते देख केंद्र ने आज किसान यूनियन से बातचीत कर हल निकालने की बात की है पिछले 1 हफ्ते से जारी किसान आंदोलन सिंधु टिकरी बॉर्डर पर पढ़े हुए हैं जहां हर रोज किसानों की भीड़ बढ़ती जा रही है किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए केंद्रीय की ओर से भारी पुलिस बल तैनात किए गए हैं अपने मांगों को लेकर उग्र हुए किसानों पर प्रशासन द्वारा बल प्रयोग भी किया गया जहां वाटर कैनन और लाठियों का इस्तेमाल किया गया नए कृषि कानून का विरोध किसानों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था लेकिन केंद्र की ओर से किसी भी प्रकार की बातचीत के रवैया को ना देखते और इस कानून पर चुप्पी देखते हुए किसानों का आंदोलन उग्र होता हुआ नजर आया इसी बीच दिल्ली में भी बुराड़ी के स्टेडियम में ठहरे किसानों को हर संभव मदद केजरीवाल सरकार कर रहे हैं प्रशासन और सरकार उस वक्त आमने सामने आ गई थी जब स्टेडियम को ओपन जेल में तब्दील करने कि प्रशासन की मांग को केजरीवाल सरकार ने ठुकराते हुए किसानों के पूर्ण समर्थन की बात कर दी वही किसानों को गिरफ्तार न करने के लिए सरकार ने स्टेडियम नहीं दिया उनके कई विधायकों ने किसानों की मदद हरसंभव किया !आज कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के समस्या पर किसान यूनियन के नेताओं को बुलाकर बैठक के द्वारा मामले को सुलझाने का प्रयास करेंगे ! केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों से अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होने वाली थी, लेकिन किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और ठंड के साथ कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा है, इसलिए मीटिंग पहले होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हालात को देखते हुए पहले दौर की बातचीत में शामिल किसानों को 1 दिसंबर को दोपहर 3 बजे विज्ञान भवन में बातचीत के लिए बुलाया गया है.
तोमर ने कहा कि जब कृषि कानून बने थे तब कुछ लोगों ने किसानों के बीच भ्रम फैलाया. केंद्र सरकार ने 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को किसानों के साथ दो दौर की बातचीत की थी, उस समय भी सरकार ने किसानों से कहा था कि विरोध प्रदर्शन का रास्ता ना अपनाएं. सरकार बातचीत के लिए तैयार है. बता दें कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आने वाले समय में न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था समाप्त होने को लेकर चिंता जता रहे हैं. उन्हें यह आशंका भी है कि इन कानूनों से वे निजी कंपनियों के चंगुल में फंस जाएंगे.
सिंघु बार्डर पर एक प्रदर्शनकारी किसान रणवीर सिंह ने कहा, ‘मैंने एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडी में लगभग 125 क्विंटल खरीफ धान बेचा है और अपने बैंक खाते में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भुगतान प्राप्त किया है. लेकिन क्या गारंटी है कि अगर मंडियों के बाहर इस तरह के व्यापार की अनुमति रही तो यह (एमएसपी की व्यवस्था) जारी रहेगी. यह हमारी चिंता है.’उधर, कोरोना वायरस खतरे के बीच विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान जिन स्थानों पर एकत्र हैं, वहां से कोविड-19 के गंभीर प्रसार की आशंका है, यहां अनेक किसानों ने मास्क नहीं पहन रखे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि उनके लिए नए कृषि कानून कोरोना वायरस से अधिक बड़ा खतरा हैं.