बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर होने जा रही है शिक्षा व्यवस्था में बदहाल बिहार पर कई ऐसे गंभीर आरोप लगे और न जाने कितने फर्जीवाड़े हुए पर शिक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सरकार ने और शिक्षामित्रों की परीक्षा लेकर शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को बढ़ाने का प्रयास कर रही है जैसा कि मालूम होगा कि बिहार में लगातार शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं इस बार शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए शिक्षा विभाग नया प्रयोग करेगा !इस बार बिहार में नया प्रयोग शिक्षकों की प्रोन्नति के नाम पर होगा, जिसमें 8 वर्ष सेवा दे चुके शिक्षकों को प्रोन्नति के बदले अब इम्तिहान देना होगा. शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार (Sanjay Kumar) की मानें तो जल्द ही नए नियम के तहत शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी और इस परीक्षा में 75 प्रतिशत या उससे अधिक वालों को प्रोन्नति मिलेगी. जबकि 50 से 75 प्रतिशत लाने वालों को दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा. इसके अलावा 50 प्रतिशत से नीचे अंक लाने वालों को सेवा से हटाने पर विचार होगा. हालांकि शिक्षा विभाग ने इन नियमों पर अभी मुहर नहीं लगाई है, लेकिन विश्वस्त सूत्रों की मानें तो गुणवत्ता शिक्षा को लेकर दिसम्बर के अंतिम सप्ताह तक इस तरह के नियम बनाये जा सकते हैं.
आपको बता दें कि राज्य के पौने 4 लाख नियोजित शिक्षक एक बार फिर नीतीश सरकार के सीधे रडार पर हैं, जिनके वेतनमान को लेकर कई वर्षों से चल रही लड़ाई अब तक खत्म नहीं हो सकी है. इस बीच, प्रोन्नति की आस में बैठे शिक्षकों को इस नए नियम के बाद बड़ा झटका भी लग सकता है. हालांकि मेधावी शिक्षकों को इससे फायदा होगा. जबकि सिर्फ डिग्री और नम्बर के आधार पर बहाल शिक्षकों को न तो प्रोन्नति मिलेगी बल्कि नौकरी जाने का भी डर बना रहेगा. यह नियम अगर लागू होता है तो प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक के शिक्षकों के लिए होगा.
शिक्षा विभाग के इस नए नियमों को लेकर शिक्षक संघ के कई नेताओं आनंद कौशल और शिक्षक नेता मार्कण्डेय पाठक, अश्विनी पाण्डेय, आनंद मिश्रा ने इसे शिक्षक विरोधी नियम बताया है. उन्होंने कहा कि अगर यह शिक्षकों के लिए लागू होता है तो क्यों नहीं इसे हर विभाग में भी लागू किया जाए, जहां कम काबिल और निकम्मे अधिकारी से लेकर कर्मचारी भी सरकार से मोटी रकम लेकर लगातार चूना लगा रहे हैं.