एनसीईआरटी की 5.64 करोड़ की नकली किताबें
मेरठ शहर के सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की नकली किताबों का सिंडिकेट जड़ें जमा चुका हैं। चौंकाने वाले आंकड़े यह हैं कि शहर में सालाना करीब 5.64 करोड़ रुपये की नकली किताबें खपाई जा रही हैं। इसे जिले और राज्य स्तर पर जोड़ें तो पता चलेगा कि शैक्षिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार किस हद तक फैल चुका है।
शहर में एनसीईआरटी की सालाना करीब 8.64 करोड़ रुपये की किताबों की मांग है, जबकि एनसीईआरटी अपने अधिकृत एजेंटों को करीब तीन करोड़ रुपये की किताबों की ही सप्लाई कर पा रहा है। इसके बाद बची हुई जरूरत को नकली किताबों को छापने वाले पूरा करते हैं। इस खेल में अन्य प्रकाशकों की मोटे मुनाफे वाली किताबें भी सेटिंग से स्कूलों में लगा दी जाती हैं। कमीशन और लंबा उधार चलने के सामने रजिस्टर्ड एजेंट ठगा सा महसूस करते हैं।
एनसीईआरटी का कक्षा नौ से बारहवीं तक का कोर्स 1000-1200 रुपये में मिल जाता है। रेफरेंस बुक्स की कीमत अधिक होती है। सीबीएसई के शहर में करीब 150 स्कूल हैं। कक्षा 6 से 12 तक के बच्चे ही ज्यादातर सीबीएसई की किताबें पढ़ते हैं। औसत एक स्कूल में इन कक्षाओं के करीब 480 बच्चों को एनसीईआरटी की किताबों की सालाना जरूरत होती है। इस हिसाब से शहर में ही 8.64 करोड़ रुपये की किताबें पढ़ी जाती हैं। एनसीईआरटी के रजिस्टर्ड एजेंट के अनुसार शहर में तीन करोड़ रुपये की किताबों की सप्लाई होती है।
सदर स्थित आइडियल बुक डिपो के संचालक सुधीर सलूजा ने बताया कि शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों की मांग तय होती है, उसी के अनुसार सप्लाई दी जाती है। इसके विपरीत बड़ी संख्या में लोग पक्के बिल के साथ काम नहीं करते हैं। जिसका नकली किताबें बेचने वाले फायदा उठाते हैं।