मुझे एकाउंटर का डर था
इलाहाबाद उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) के आदेश के बाद मंगलवार रात डॉक्टर कफील खान को मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया। करीब आठ माह पूर्व गोरखपुर के डॉ. कफील को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में जेल में बंद कर दिया गया था। उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई हुई थी। इसके खिलाफ उनके परिजन हाईकोर्ट पहुंचे थे। रिहाई होने के बाद डॉ. कफील ने हाईकोर्ट का धन्यवाद किया। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए यूपी पुलिस पर तंज कसा।
रिहाई के बाद डॉ. कफील ने कहा कि सभी भारतवासियों का धन्यवाद, जिन्होंने मेरा साथ दिया। उन्होंने कहा कि मैं हाईकोर्ट का शुक्रगुजार हूं, जिसने इतना अच्छा आदेश दिया। हाईकोर्ट ने आदेश में लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने ड्रामा करके एक झूठा और बेबुनियाद केस बनाया। जिसके तहत मुझे आठ महीने तक जेल में प्रताड़ित किया गया।
जेल में डॉ. कफील के साथ बुरा बर्ताव किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें पांच दिन तक खाना-पानी नहीं दिया गया। प्रताड़ित किया जाता था। यूपी पुलिस पर तंज कसते हुए डॉ. कफील ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश विशेष कार्यबल (एसटीएफ) को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने मुंबई से यहां लाते वक्त मेरा एनकाउंटर नहीं किया। कफील ने आशंका जताई है कि यूपी सरकार उन्हें किसी और मामले में फंसा सकती है।
12 दिसंबर 2019 शाम को 46 वर्षीय डॉ. कफील ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर छात्रों के बीच अपना संबोधन किया था। इसके बाद एएमयू में हजारों छात्रों ने प्रदर्शन किया था। दिसंबर महीने के अंत में थाना सिविल लाइन में डॉ. कफील के खिलाफ लोक व्यवस्था भंग करने, भड़काऊ संबोधन करने, कानून और व्यवस्था भंग करने आदि धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया।
डॉ. कफील को पुलिस मुंबई से गिरफ्तार करके अलीगढ़ लाई। अदालत में पेश किया गया। फिर मथुरा जेल भेज दिया गया। 15 फरवरी को डॉ. कफील की मथुरा जेल से रिहाई होने वाली थी। लेकिन 14 फरवरी को रासुका के तहत कार्रवाई कर दी गई। इस कार्रवाई के खिलाफ उनके परिजन हाईकोर्ट पहुंचे थे। हाईकोर्ट ने मंगलवार सुबह डॉ. कफील की तुरंत रिहाई का आदेश दिया। रात को उन्हें मथुरा जेल से रिहा कर दिया गया।