सीमा विवाद पर चीन को अल्टीमेटम:सीडीएस रावत बोले- चीन बातचीत से नहीं माना तो सैन्य विकल्प तैयार
- लद्दाख में डिसएंजेमेंट की सहमति के बाद भी चीन फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा से पीछे नहीं हट रहा
- गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच 15 जून को हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे
- भारत-चीन सीमा विवाद के बीच, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत का बड़ा बयान सामने आया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक रावत ने साफ कहा “चीन के साथ बातचीत से विवाद नहीं सुलझा तो सैन्य विकल्प भी खुला है। हालांकि, शांति से समाधान तलाशने की कोशिशें की जा रही हैं।”
गलवान में 15 जून को भारत-चीन की झड़प के बाद लद्दाख में विवादित इलाकों से सैनिक हटाने के लिए भारत-चीन के आर्मी अफसरों के बीच 2 बार मीटिंग हो चुकी। ये बैठकें 30 जून और 8 अगस्त को चीन के इलाके में पड़ने वाले मॉल्डो में हुई थीं। चीन फिंगर एरिया, देप्सांग और गोगरा से पीछे नहीं हट रहा।
रावत ने कहा- सेना हर वक्त तैयार
सीडीएस ने कहा है कि आर्मी से लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के आस-पास अतिक्रमण रोकने और इस तरह की कोशिशों पर नजर रखने के लिए कहा गया है। सरकार बातचीत से विवाद निपटाना चाहती है, लेकिन अगर एलएसी पर हालात सामान्य रखने की कोशिशें किसी वजह से कामयाब नहीं हो पाएं, तो फिर सेना हर वक्त तैयार रहती है।Advertisementरक्षा मंत्री सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे
रावत ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और दूसरे संबंधित लोग लद्दाख में एलएसी पर अप्रैल से पहले की स्थिति बहाल करने के सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं। रावत ने इंटेलीजेंस एजेंसियों में को-ऑर्डिनेशन की कमी होने की बातों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि सभी एजेंसियों के बीच लगातार बातचीत होती रहती है। मल्टी एजेंसी सेंटर की रोज मीटिंग होती है। हम सीमा पर अपने इलाकों में 24 घंटे निगरानी की व्यवस्था पर काम कर रहे हैं।लद्दाख में चीन कई इलाकों से पीछे नहीं हट रहा
गलवान की झड़प के बाद एनएसए डोभाल से बातचीत में चीन इस बात पर राजी हुआ कि विवादित इलाकों से पीछे हट जाएगा। पहले फेज का डिसएंगेजमेंट पूरा भी हो गया, लेकिन कई इलाकों में चीन फिर से अड़ियल रवैया अपना रहा है। गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच 15 जून को हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी करीब 35 सैनिक मारे गए थे, लेकिन उसने कभी माना नहीं।