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राजस्थान कांग्रेस में एक महीने बाद बनी बात

महीने बाद बनी बात

Rajsthan-

राजस्थान कांग्रेस के सियासी ड्रामे का पटाक्षेप आखिरकार एक महीने बाद हो गया. दिल मिले ना मिले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को गले मिलाने की पटकथा लिखी जा चुकी है.

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सचिन पायलट जिस दिन दिल्ली गए उस दिन इनके साथ 25 विधायक थे. 12 जुलाई को सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की सरकार को अल्पमत में होने का ऐलान कर दिया और सरकार गिराने के संकेत देने लगे.

पायलट गुस्से में थे और अशोक गहलोत को सबक सिखाना चाहते थे. लिहाजा, बीजेपी से भी हाथ मिला लिए. यह कहा जाने लगा कि सचिन पायलट अशोक गहलोत की सरकार सरकार गिराएंगे और बीजेपी के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बनेंगे. मगर इस बीच इन के 3 साथी चेतन डूडी, रोहित बोहरा और दानिश अबरार दिल्ली के पंडारा रोड थाने का बहाना बनाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास जयपुर पहुंच गए और कहा कि सचिन पायलट का प्लान बीजेपी में शामिल होने का था, इसलिए हम उन्हें छोड़कर चले आए.

कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से सूत्रों के अनुसार यह खबर चला दी गई कि सचिन पायलट अमित शाह और जेपी नड्डा से मिलकर बीजेपी में शामिल होंगे. सचिन पायलट ने बिना वक्त गंवाए इस खबर का खंडन किया और कहा कि मैं कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहा हूं.

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पायलट के ससुर से की गई बात

दरअसल, सचिन पायलट गुस्से में बीजेपी के नजदीक तो चले गए थे मगर वह कांग्रेस छोड़कर कभी गए नहीं थे. 12 जुलाई को ही प्रियंका गांधी ने उनके ससुर फारुख अब्दुल्ला और साले उमर अब्दुल्ला से बातचीत कर सचिन के लिए रास्ता खोल दिया था. गांधी परिवार ने पुराने संबंधों का हवाला देकर सचिन पायलट की मां रमा पायलट से भी संपर्क साधा था.

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