कोरोना काल में देश का कोई ऐसा शमसान नही जहां के आकड़े महीनें मे 2500को पार न करती हो दरअसल बक्सर के शमशान में 10दिनों मे लगभग 789 लाशें जली है ये आंकडा वहां के रजिस्टर से है लेकिन ठीक इसके उलट बक्सर के अगल-बगल जो लाशें जलती है वो आकडें से बाहर है, अगर बक्सर आस-पास के गावों के लाशों के जलने के आकंडे देखें तो ये आंकडा आपको चौका सकता हैं प्रत्यक्षदर्शीयो के मुताबिक हर 10दिन मे बक्सर के बगल चौसा महदेवा घाट के पास शमशान घाट पर 10दिन मे 400-500 लाशें ,वही मझरियां के बगल के शमशान मे भी वही आंकडें है ,पर बक्सर के मौत पर जो मुख्य सचिव ने बताया उस पर हाईकोर्ट ने जवाब मांगा, बिहार के बक्सर में गंगा नदी में मिली लाशों के बाद लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. बिहार में कोरोना (Corona) के बढ़े मामलों और राज्य सरकार की व्यवस्था की हाई कोर्ट लगातार मॉनिटरिंग कर रही है. पटना हाई कोर्ट में कोरोना के मामले में सुनवाई के दौरान जो रिपोर्ट रखी गई, वह चौंकाने वाली है.
बिहार के मुख्य सचिव की रिपोर्ट में बक्सर में कोरोना से हुई मौत और पटना प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा बक्सर श्मशान घाट पर जलाई गई लाशों की संख्या एक दूसरे से कहीं मेल नहीं खाती है.
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में पिछले 1 मार्च से 13 मई तक कोरोना के कारण बक्सर में सिर्फ 6 लोगों की मौत होने की बात कही गई है. वहीं, प्रमंडलीय आयुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मई से 14 मई तक बक्सर के श्मशान घाट पर 789 लाशें जलाई गईं. दोनों रिपोर्ट सामने आने के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस कुमार की बेंच ने इसे तर्कहीन बताया.
हाई कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण
मुख्य सचिव और आयुक्त के रिपोर्ट के विरोधाभास के बाद हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि आखिर सच कौन है? हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा है कि बक्सर में 1 मार्च से 13 मई तक कितने कोरोना के एक्टिव मरीज रहे?
जिन लोगों की मौत हुई सभी का डीटेल्स बताएं और 19 मई तक कोर्ट में अपना जवाब सौपें.
तैरती लाशों के मिलने से हंगामा
पिछले दिनों बक्सर में गंगा नदी में एक के बाद एक लाशों के मिलने के बाद हंगामा मच गया था. स्थानीय प्रशासन का कहना था कि यूपी से लाशें आई हैं. शवों के गंगा में मिलने के बाद जिला प्रशासन द्वारा गंगा किनारे गस्ती और चौकसी बढ़ा दी गई.