नई दिल्ली. दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट में बैंक और बिल्डर्स के बीच कथित सांठगांठ को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया कि वह दो सप्ताह के अंदर एक प्रस्ताव पेश करे कि वह सब्सिडी योजनाओं के तहत रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के संबंध में बैंकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच कथित सांठगांठ की जांच कैसे करना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की मिलीभगत ने दिल्ली-एनसीआर में हजारों घर खरीदारों के लिए परेशानी पैदा कर दी है
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि सीबीआई के पास इन मुद्दों की जांच के लिए जरूरी एक्सपर्ट्स और रिसोर्सेज हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सब्सिडी स्कीम में प्रणालीगत कमियों की जांच जरूरी है. दोनों जजों की बेंच ने कहा, “एक बात हम स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि हम मामले को सीबीआई को भेजेंगे… हम समस्या की जड़ तक जाना चाहते हैं.
दरअसल, यह मामला नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और एनसीआर के अन्य शहरों में रहने वाले हज़ारों घर खरीदारों से जुड़ा है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि बैंकों ने उचित जांच-पड़ताल किए बिना ही सबवेंशन स्कीम के तहत डेवलपर्स को लोन मंजूर कर दिया. जब, बिल्डरों ने अपने वादों को पूरा नहीं किया, तो ईएमआई भुगतान का बोझ घर खरीदारों पर डाल दिया गया, जिनमें से कई को अभी तक अपने फ्लैटों का कब्ज़ा नहीं मिला है.
सर्वोच्च न्यायालय के 4 मार्च के आदेश में कहा गया कि बार-बार निर्देश देने के बावजूद, ज्यादातर बिल्डर्स, बैंक और अंतरिम समाधान कंस्ट्रक्शन कंपनी (दिवालियापन कार्यवाही का सामना कर रही कंपनियों के मामले में) प्रोजेक्ट के कंपलीशन की स्थिति और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर अनुपालन हलफनामा पेश करने में विफल रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन आदेशों की स्पष्ट रुप से अवहेलना बैंकों और बिल्डरों के बीच संभावित मिलीभगत का इशारा करती है!