पटना. बिहार में लिंगानुपात बढ़ाने के प्रयासों के बीच एक निराशाजनक खबर आई है. प्रदेश में महिलाओं के अनुपात में कमी आ गई है. हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम यानी एचएमआईएस के जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में लड़कियों की संख्या प्रति 1000 पर केवल 882 ही रह गई है. यह अनुपात 2022-23 के 894 और 2021-22 में 914 से बेहद कम हो गया है. कई जिलों में तो स्थिति और भी बदतर है. अधिकतर जिलों में बेटियों की संख्या में कमी होना बेहद ही चिंता वाली बात है. बिहार में लिंगानुपात बढ़ाने के प्रयासों के बीच एक निराशाजनक खबर आई है. प्रदेश में महिलाओं के अनुपात में कमी आ गई है. हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम यानी एचएमआईएस के जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में लड़कियों की संख्या प्रति 1000 पर केवल 882 ही रह गई है. यह अनुपात 2022-23 के 894 और 2021-22 में 914 से बेहद कम हो गया है. कई जिलों में तो स्थिति और भी बदतर है. अधिकतर जिलों में बेटियों की संख्या में कमी होना बेहद ही चिंता वाली बात है
समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव सह महिला एवं बाल विकास निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हारा ने हाल ही में सभी जिलाधिकारी और विभागीय पदाधिकारी के साथ बैठक कर महिलाओं की घटती संख्या पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम यानी एचएमआईएस के हवाले से बताया कि कुछ जिलों में प्रति हजार लिंगानुपात में सुधार भी हुआ है, लेकिन अधिकतर जिलों में कमी चिंता का कारण है.
ये आंकड़े बजा रहे खतरे की घंटी
एचएमआईएस के आंकड़ों के अनुसार, मुजफ्फरपुर में प्रति हजार बेटियों की संख्या में 26 की कमी आई है. पटना जिले में प्रति हजार 27 बेटियों की कमी आई है. बता दें कि मुजफ्फरपुर में पिछले साल लिंगानुपात 906 था जो इस साल घटकर 880 रह गया है. वहीं, पटना में पिछले वर्ष 889 दर्ज किया गया था जो इस साल घटकर 862 हो गया है. कुछ जिलों की स्थिति पर नजर डालेंगे तो गया में लिंगानुपात 917 से घटकर 870 यानी 47 संख्या में 47 की कमी आ गई है. वहीं, अररिया जिले में लिंगानुपात 8, अरवल में 45, औरंगाबाद में एक, बेगूसराय में 8, भोजपुर में 10, बक्सर में 7, दरभंगा में 12, गोपालगंज में 11, जमुई में 39, जहानाबाद में 7, कटिहार में 20, खगड़िया में 10, लखीसराय में 12, मुंगेर में 28, नालंदा में 9, नवादा में 30, पूर्णिया में 10, सहरसा में 6, समस्तीपुर में 13, सारण में 16, शिवहर में 34, सीतामढ़ी में 23, सुपौल में 3, वैशाली में 20 और पश्चिम चंपारण के लिंगानुपात में 11 की गिरावट आई है. इसका मतलब यह हुआ की प्रति हजार आबादी में बेटियों की इतनी संख्या घट गई है
सभी जिलों की बात करें तो सबसे अधिक गिरावट पूर्वी चंपारण में दर्ज की गई है. यहां प्रति हजार बेटियों की संख्या 908 से घटकर 870 हो गई है, यानी प्रति हजार 62 अंकों की कमी आई है. हालांकि, कुछ जिलों में बेटियों की संख्या में वृद्धि भी हुई है जो थोड़ा सुकून देने वाला है. इनमें भागलपुर में प्रति हजार 8 बेटियां बढ़ीं हैं. पिछले साल 917 के मुकाबले अब लिंगानुपात 925 हो गया है. वहीं, किशनगंज में लिंगानुपात 926 से बढ़कर 929 हो गया है, जबकि मधुबनी में 815 से बढ़कर 819 हो गया है. इसी तरह रोहतास में भी सुधार हुआ है और यहां 863 से बढ़कर लिंगानुपात 870 हो गया है. जबकि, सिवान में 857 से 881 हो गया है
वहीं, कैमूर ही एकमात्र जिला है जहां लिंगानुपात पिछले साल के बराबर ही बना हुआ है. पिछले साल और इस साल में कैमूर का लिंगानुपात 913 ही है. लिंगानुपात में असमानता की खाई देख स्वास्थ्य विभाग में लिंगानुपात में कमी को लेकर तमाम उपाय करने के निर्देश दिए हैं. इसमें कन्या भ्रूण की रक्षा करने के लिए निर्देशित किया गया है. एचएमआईएस ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसके अनुसार, राज्य सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है.