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CJI चंद्रचूड़ ने पहले गठित की 3 जजों की बेंच, फिर पलटा फैसला एक साल पुराना फैसला

नई दिल्‍ली. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाय चंद्रचूड़ के नेतृत्‍व वाली 3 जजों की बेंच ने सोमवार एक साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए कहा कि पुडुचेरी में एक शराब की दुकान को मंदिर, मस्जिद या शैक्षणिक संस्थान से 500 मीटर से अधिक दूर के क्षेत्र में स्थानांतरित करने का आदेश देते समय एक मिसाल को गलत तरीके से लागू किया था. तब सुप्रीम कोर्ट की दो-न्यायाधीशों की बेंच ने मार्च 2023 में तमिलनाडु राज्य बनाम के. बालू मामले में पारित 2016 के फैसले पर भरोसा करते हुए शराब की दुकान को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. शराब की दुकानों की राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से न्यूनतम दूरी 500 मीटर होनी चाहिए. यह आदेश मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील में पारित किया गया था, जिसने शराब की दुकान को धार्मिक या शैक्षणिक संस्थानों से 150 मीटर की दूरी पर इस आधार पर रखने की अनुमति दी थी कि स्थानीय कानून ऐसी संरचनाओं से केवल 50 मीटर की न्यूनतम दूरी अनिवार्य करता है

बाद में सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को इस आधार पर वापस लेने के लिए एक आवेदन दायर किया गया था कि इसमें ‘के बालू’ फैसले को गलत तरीके से लागू किया गया था. आज, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह देखते हुए रिकॉल एप्लिकेशन को अनुमति दे दी कि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में स्पष्ट किया था कि के बालू नगरपालिका क्षेत्रों से गुजरने वाले राजमार्गों पर लागू नहीं होगा. पीठ ने यह भी कहा कि वर्तमान मामले में तथ्य नगरपालिका कानूनों से संबंधित हैं और नगरपालिका क्षेत्रों में शराब प्रतिष्ठानों के लिए के बालू के गैर-आवेदन के संबंध में न्यायालय द्वारा जारी बाद के स्पष्टीकरण को नजरअंदाज कर दिया.

हाईकोर्ट ने क्‍या कहा था?
तथ्यों के अनुसार, 2021 में मद्रास हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की गई थी जिसमें मेसर्स प्रीमियर एंटरप्राइजेज के नाम पर शराब की दुकान को ऐसे क्षेत्र में स्थानांतरित न करने की मांग की गई थी जो एक स्कूल, मंदिर, मस्जिद से 150 मीटर के दायरे से दूर हो. मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि 1970 के पुडुचेरी उत्पाद शुल्क नियमों के अनुसार, शराब की दुकान किसी शैक्षणिक संस्थान और मंदिर/मस्जिद से 50 मीटर की दूरी के भीतर स्थित नहीं हो सकती है. हालांकि, यह मानते हुए कि पेश मामले में दूरी स्कूल और पूजा स्थलों से 150 मीटर थी, हाईकोर्ट ने माना कि 1970 के नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है

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सीजेआई की बेंच ने क्‍या कहा?
मार्च 2023 में, जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने के बालू मामले में फैसले के आधार पर हाईकोर्ट  के फैसले को रद्द कर दिया. सीजेआई के स्पष्टीकरण आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आदेश नगरपालिका क्षेत्रों के भीतर लाइसेंस प्राप्त प्रतिष्ठानों को प्रतिबंधित नहीं करता है. यह स्पष्टीकरण अन्य नगरपालिका क्षेत्रों को भी नियंत्रित करेगा. हमने किसी भी अस्पष्टता को दूर करने इस स्पष्टीकरण को जारी करना उचित समझा है!

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